जज के घर कैश , जले नोट फिर भी fIR क्यों नहीं,जस्टिस वर्मा को किसका शुभाशीष

 

कौटिल्य शास्त्री
लखनऊ
आठवां अजूबा न्यायाधीश के घर नोट फिर FIR नहीं किसके मन में खोट

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाई कोर्ट के जज के घर से जला कैश मिलने के मामले में एफआईआर दर्ज न होने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा, 'क्या कानून से ऊपर कोई नई श्रेणी बन गई है, जिसे जांच से छूट मिल गई है?' धनखड़ ने कहा, 'यही घटना किसी आम आदमी के घर होती तो कार्रवाई की रफ्तार रॉकेट जैसी होती। पर यहां तो बैलगाड़ी भी नहीं चली।' उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता, जांच से बचाव का कवच नहीं हो सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से मिले अधजले नोट के मामले में जांच के लिए तीन जजों की इन-हाउस जांच कमेटी बनाई है। धनखड़ ने सवाल उठाया कि जांच कमेटी की कानूनी वैधता क्या है? उन्होंने कहा, 'जांच करना कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है, न कि न्यायपालिका का। यह कमेटी संविधान या किसी कानून के तहत नहीं बनी है। यह सिर्फ सिफारिश कर सकती है, वह भी किसे और किसलिए, यह स्पष्ट नहीं है।'

न्यायपालिका 'सुपर संसद' नहीं, राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकती

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका पर तीखा हमला करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को फैसले लेने के के लिए समयसीमा तय नहीं कर सकता और न ही वह 'सुपर संसद' की भूमिका निभा सकता है। धनखड़ ने राज्यसभा के इंटर्न्स को संबोधित करते हुए कहा, संविधान का अनुच्छेद 142 न्यायपालिका के पास 24x7 उपलब्ध एक 'न्यूक्लियर मिसाइल' बन गया है, जो लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ इस्तेमाल हो रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही तमिलनाडु के राज्यपाल मामले में कहा था कि राष्ट्रपति को विधेयकों पर समयबद्ध निर्णय करना होगा।

 अब हमारे पास ऐसे जज जो कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम करेंगे

धनखड़ ने कहा, 'अब हमारे पास ऐसे जज हैं जो कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम करेंगे, सुपर संसद संसद की तरह काम करेंगे और जिन पर कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि उन पर देश का कानून लागू नहीं होता।'

उन्होंने कहा, 'हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम किस दिशा में जा रहे हैं? क्या अब राष्ट्रपति को समयसीमा में फैसला लेना होगा और अगर नहीं लिया तो वह कानून बन जाएगा? यह लोकतंत्र के लिए चिंताजनक स्थिति है।' धनखड़ ने कहा, 'राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और उनका कर्तव्य संविधान की रक्षा करना है। राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण और पालन की शपथ लेते हैं। बाकी सभी मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसद और जज संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं।'

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