कौटिल्य शास्त्री
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन
कभी आपने सोचा रोहिंग्या मुसलमान क्यों आज सारी दुनिया में धक्के खा रहे हैं?
मुसलमान एक बहुत बड़ी गलतफहमी का शिकार हैं, आधी से ज्यादा दुनिया पर हम काबिज़ हैं, काफिरों के खिलाफ लड़ाई में सारे मुस्लिम देश एक हो जायेंगे और उस देश की बैंड बजा देंगे, इस तरह की सोच है इनकी। पाकिस्तान के आवाह्न पर कितने मुस्लिम देश भारत के खिलाफ आये?
हकीकत इसके उलट है दुनिया का हर मुसलमान दूसरे मुसलमान के बारे में भरपूर जानकारी रखता है। अरब का शेख जानता है कि भारत और पाकिस्तान के नकली मुसलमान कितने घटिया होते हैं। ईरान का शिया जानता है कि एशिया के सुन्नी मुसलमान उन्हें मिटाने के लिए वेचैन हैं। रोहिंग्याओं के घटियापन को कौन मुस्लिम देश बर्दास्त करेगा?
वास्तव में बर्मा के मामले में रोहिंग्या मुसलमानों का गणित धोखा दे गया। बर्मा में ये सुनियोजित तरीके से हत्यायें कर रहे थे। अकेले किसी बौद्ध को देखकर चुपके से आक्रमण कर मारकर जमीन में गाड़ देना। अकेले को मारने का लाभ ये मिलता था कि कोई गवाह होता ही नहीं था, कानून सजा किसको देगा? इन लोगों की सोच ये थी कि जिस तरह भारत सरकार कश्मीरी या बांग्लादेशी मुल्लों के आतंकवाद पर असली अपराधी को खोजने निकल पड़ती है, वैसा ही कुछ इनके साथ भी होगा। जिस तरह भारत सरकार अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाती है, अदालत में पेश करती है और पुख्ता सबूत के अभाव में इनके मुस्लिम भाईजान बाइज्जत बरी हो जाते हैं, वैसा ही कुछ बौद्ध भी करेंगे और इस तरह एक दिन पूरे बर्मा के बुद्धों को मारकर ऐश करेंगे। बर्मा पर एक दिन इस्लाम का झंडा लहरायेगा।
इन रोहिंग्याओं से बौद्धों की मानसिकता पढ़ने में भारी गलती हुई। बौद्ध अपराधियों को खोजने के चक्कर में पड़े ही नहीं। सेना के लोग और बौद्धों ने स्वयं हथियार उठाकर इनका सामूहिक नरसंहार प्रारम्भ कर दिया और ऐसी मार लगाई कि सीमा पार भागकर ही रोहिंग्याओं की जान बची। अगर रोहिंग्याओं को जरा भी अंदेशा होता कि बौद्ध इतना खतरनाक स्टेप ले सकते हैं तो वो सपने में भी ऐसा न करते।
बौद्धों ने हिंदुओं को एक सबक सिखाया है कि उनके पूज्य महात्मा बुद्ध ने भले ही अहिंसा का संदेश दिया हो पर कायरता की शिक्षा कभी नहीं दी। हिंदुओं ने गाँधी को ही सर्वस्व मान लिया है और अब गांधी की कायरता हिंदुओं की अंतरात्मा तक में घुस गयी है।