बस्ती, उत्तरप्रदेश
जब आपको कोई रास्ता न मिले और वेचारिक जवाब देदे ,तब महापुरुषों द्वारा प्रणीत इस ध्येय वाक्य का स्मरण संकट से मुक्ति और आत्म विश्वाश का रास्ता यह श्लोक दिखाता है.जा आत्म विश्वास है वही विश्वास और सफलता है.इसीलिए कहा गया है सबकुछ रहे और ज्ञान न रहे 5o सफलता और सम्मान अधूरा ही रह जाता है.वह श्लोक है!
उद्यमेन ही सिद्धयति कार्याणी न मनोरथे
नहीं सुप्तस्य सिंहस्य प्रविष्यंति मुखे मृगा:
बताते हैं क्या कभी सोए हुए शेर के मुख में शिकार अपने आप प्रवेश करता है?