टैरिफ पर राहुल की बचकानी सोच,मोदी को समझना राहुल की आई क्यू से बाहर

अमेरिकी टैरिफ समझना अभी राहुल की औकात नहीं.

,कौटिल्य शास्त्री,

न्यासी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन

राहुल गांधी क्या समझेंगे मोदी सरकार की चुप्पी


का राज, टैरिफ वार से बल्ले-बल्ले, ग्लोबल एक्सपोर्ट का शहंशाह बन सकता है भारत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दुनिया के तमाम देशों के खिलाफ टैरिफ लगाए जाने के बाद इस मु्द्दे पर हर तरफ बवाल मचा हुआ है. खासकर इस टैरिफ वार में चीन और अमेरिका बिल्कुल आमने-सामने हैं.

ट्रंप ने अपने सबसे करीबी मित्र देशों यूरोपी संघ और ब्रिटेन को भी इस टैरिफ वार से राहत नहीं है. उन्होंने भारत के खिलाफ 26 फीसदी का टैरिफ लगाया है. इसको लेकर भारत में भी कई तरह की चर्चाएं हैं. बीते दिनों संसद के भीतर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार से बयान देने की मांग की. लेकिन, भारत सरकार 'वेट एंड वाट' की रणनीति अपना रही है. वह सीधे तौर पर इस मसले पर अमेरिका से भिड़ना नहीं चाहती. भारत सरकार इस मसले का बैक डोर कूटनीतिक समाधान निकालने की योजना पर काम कर रही है.

इसी कड़ी में एक दिन पहले सोमवार को ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ ट्रेड डील को लेकर बात की. दोनों देश जल्द से जल्द एक ट्रेड डील करना चाहते हैं. इस बीच भारत इस टैरिफ वार में अपने लिए अवसर तलाशने में लगा है और इसके कुछ सकारात्मक संकेत भी मिलने लगे हैं. ऐसे में एक जिम्मेदार नेता होने के नाते राहुल गांधी को संयम बरतना चाहिए. लेकिन, उन्होंने हड़बड़ी में संसद में जिस तरह से इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश की उससे तो यही लगता है कि वह सरकार की रणनीति को बिल्कुल ही नहीं समझ रहे हैं.

भारत को मिल सकता है फायदा
जानकारों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति भारत के लिए चुनौतियों के साथ-साथ कई अवसर भी ला सकती है. ट्रंप ने अमेरिका में आयात पर ऊंचे टैरिफ की घोषणा की है, जिसमें भारतीय उत्पादों पर 26% टैरिफ शामिल है. लेकिन इस टैरिफ के बावजूद भारत को फायदा दिख रहा है. सबसे बड़ा लाभ भारत को वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धी स्थिति से मिल सकता है. ट्रंप ने चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों पर भारत से अधिक टैरिफ (50% तक) लगाया है. इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद इन देशों की तुलना में सस्ते हो सकते हैं. उदाहरण के लिए कपड़ा उद्योग में भारत को बढ़त मिल सकती है, क्योंकि अमेरिका ने चीन और बांग्लादेश से आयात पर भारी शुल्क लगाया है. 2023-24 में भारत का कपड़ा निर्यात 36 बिलियन डॉलर था, जिसमें अमेरिका की हिस्सेदारी 28 फीसदी थी. ऐसे में अमेरिका को भारतीय कपड़ों का निर्यात बढ़ने की संभावना है.

राहुल गांधी ने बीते दिनों संसद मे टैरिफ का मुद्दा उठाया था.

भारत के लिए अवसर
दूसरा फायदा घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन से है. अमेरिकी टैरिफ के जवाब में भारत अपने आयात शुल्क में बदलाव कर सकता है, जिससे स्थानीय निर्माण को बढ़ावा मिलेगा. इससे रोजगार के और अवसर बढ़ेंगे. साथ ही फार्मा जैसे सेक्टर को टैरिफ से छूट मिलने से भारत की दवा कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा. तीसरा फायदा यदि अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ विवाद बढ़ता है तो अमेरिकी कंपनियां अपनी सप्लाई चेन को चीन से हटाकर भारत जैसे देशों में स्थानांतरित कर सकती हैं. यह भारत के लिए निवेश और निर्यात वृद्धि का सुनहरा अवसर हो सकता है. इसकी झलक अभी से दिखने लगी है. सैमसंग और ऐपल जैसी टेक कंपनियां अपने भारतीय प्लांट से अमेरिका को प्रोडक्ट निर्यात करने की योजना पर काम कर रही हैं.

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