पाकिस्तान अपने देश के लिए आतंक और गुनाहों का पर्याय है। वो घाटी में शायद ही कभी शांति रहने देता हो। ये सबको पता है कि चाहे लाख कश्मीर समस्याओं के समाधान के लिए सरकारों ने कदम उठाए हो लेकिन आतंकी घटनाएं होती ही रहती है और अपने देश के जवान और नागरिक हताहत होते ही रहते है।
चित्र,सोशल मीडिया
हालांकि सनातन सिद्धांत के अनुसार कर्म का फल आपको कभी न कभी भोगना ही पड़ता है और पाकिस्तान बीच - बीच में इस सिद्धांत के चपेट में आता भी है जब कई दफा वहाँ के आतंकी वही अपने गुणों और दमखम का प्रदर्शन करते रहते है। अभी हाल में 11 मार्च को पाकिस्तान में प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ( BLA ) ने क्वेटा से पेशावर जाते हुए जफर एक्सप्रेस को लगभग 450 यात्रियों के साथ हाईजैक कर लिया।
हालांकि बुधवार रात को पाक आर्मी , एयरफोर्स और FC के सामुहिक प्रयासों से बंधकों को छुड़ा लिया गया लेकिन पाक सरकार के आंकड़ों के अनुसार 21 नागरिकों ( आंकड़े बेशक कम बताए जाते है ) और 4 FC के जवानों ने अपनी जान गंवा दी। इस दौरान BLA के भी 33 आतंकी मारे गए। सरकार भले ही सभी बंधकों के छूटने की बात कर रही लेकिन BLA के अनुसार अभी भी 150 बंधक उनके कब्जे में है।
पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार ने इसके लिए भारतीय मीडिया की भी आलोचना की है क्योंकि उनके अनुसार इस पूरे हाईजैक के दौरान भारतीय मीडिया ने तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया। विपक्ष पीटीआई पर भी निशाना साधते हुए जनाब ने कहा है कि उनकी भाषा वही है जो BLA और भारतीय मीडिया की है।
सोशल मीडिया पर काफी लोग BLA द्वारा की गई इस आतंकी गतिविधि की सराहना कर रहे है लेकिन मरे हुए मासूम लोगों और उनके पारिवारिक सदस्यों पर क्या बीत रही होगी ये सिर्फ उन्हें पता होगा। ऐसी घटनाओं में अक्सर मासूम लोग ही अपनी जान गंवाते है , अगर किसी भी प्रतिबंधित या बागी संस्था को सरकार से परेशानी है तो सरकार को टारगेट करनी चाहिए न कि असहाय लोगों को. कौटिल्यश्री