बलूच मांग रहे भारत का साथ,मदद की भारत से गुहार.

 बलूचिस्तान में आर्मी भेजेगा इंडिया? बलोच नेता को भारत रत्न दे चुकी है सरकार, अब आई मदद की गुहार!

राजेंद्र नाथ तिवारी

बलूचिस्तान में हालात बेहद गंभीर हैं. बलोच लड़ाकों और पाकिस्तानी सेना के बीच जंग जैसे हालात हैं. पाकिस्तान की एयरफोर्स लड़ाकों पर फाइटर जेट से बम बरसा रही है. इस बीच सेना का दावा है कि मंगलवार को एक सुरंग में बलूच लड़ाकों द्वारा एक यात्री ट्रेन पर हमला किए जाने के बाद उसने कम से कम 16 विद्रोहियों को मार गिराया और 104 यात्रियों को बचा लिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक नौ डिब्बों में लगभग 400 यात्रियों को लेकर जाफर एक्सप्रेस क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी तभी मंगलवार दोपहर गुदलार और पीरू कोनेरी इलाकों के बीच उस पर गोलीबारी की गई और बलोच लड़ाकों ने ट्रेन को हाईजैक कर लिया. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.

सुरक्षा सूत्रों ने पुष्टि की है कि लड़ाकों के साथ मुठभेड़ के दौरान वे महिलाओं और बच्चों सहित 104 यात्रियों को बचाने में सफल रहे. मुठभेड़ में 16 लड़ाके मारे गए हैं और कई अन्य घायल हो गए हैं. मुठभेड़ अभी जारी है. उन्होंने कहा कि जब तक सभी यात्रियों को ट्रेन से नहीं निकाल लिया जाता, तब तक लड़ाकों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा.



मदद की गुहार
इस बीच सोशल मीडिया पर बलूचिस्तान समर्थक लोग भारत से मदद की गुहार लगा रहे हैं. वे संकट की इस घड़ी में भारत की ओर देख रहे हैं. भारत भी ऐतिहासिक रूप से बलोचों का समर्थक रहा है. आजादी से पहले और उसके बाद भी बलोच नेता खान अब्दुल गफ्फार खान भारत के समर्थक रहे हैं. वह तो बलूचिस्तान को पाकिस्तान का भूभाग बनाने के भी खिलाफ थे. बलोच जनता भी कभी भी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी. लेकिन, उसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी थी कि उसे भारत के साथ नहीं मिलाया जा सकता था.

बलोच लोगों के प्रति भारत सरकार के लगाव को इसी से समझा जा सकता है कि 1987 में भारत सरकार ने उसके सबसे बड़े नेता खान अब्दुल गफ्फार खान को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा था. उस वक्त केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी. खान उस वक्त अफगानिस्तान में निर्वासित जिंदगी जी रहे थे. उसके कुछ दिनों बाद 20 जनवरी 1988 को 98 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

भारत और बलोच लोगों के बीच का लगाव सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है. एक्स और अन्य प्लेटफॉर्म पर हजारों पोस्ट किए जा रहे हैं. इसमें वे भारत से मदद की गुहार लगा रहे हैं. लेकिन, भारत की आधिकारिक स्थिति यह है कि वह बलूचिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा मानता है. दुनिया भी बलूचिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा मानती है. ऐसे में प्रत्यक्ष तौर पर भारत किसी भी रूप में बलोच लड़ाकों की सहायता करने की स्थिति में नहीं है. ऐसा करना सीधे तौर पर पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होगा, जो पूरे इलाके की भूराजनीति के लिए ठीक नहीं है.


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