नोबेल शांति पुरस्कार कमेंटी के सौजन्य से यह बड़ी खबर आई है कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चयनित होने वालों में सबसे उपयुक्त व्यक्ति हो सकते हैं।
नि: संदेह यह खबर हर भारतीय के लिए गर्व करने की बात है।
गत २०२० में कोरोना वायरस के वैश्विक प्रकोप के सामने किसी भी विश्वस्तरीय नेता के मुकाबले मोदी जी मजबूत और विश्वसनीय लीडर साबित हुए। अपने देश ही नहीं, अपितु दुनिया के कई देशों को महामारी से बचने के लिए उन्होंने भारत में निर्मित कोरोना टीका भेजकर अभूतपूर्व सहायता की। मोदी जी का यह प्रयास स्वर्णाक्षर में अंकित किए जाने योग्य है। नोबेल शांति पुरस्कार समिति मोदी के कोरोना महामारी से निबटने की इस कोशिश को मानवता की बहुत बड़ी सेवा के रूप में रेखांकित करती है।
युक्रेन —रूस युद्ध की विभीषिका विश्वयुद्ध का रूप ले सकती थी। मोदी जी ने अपने संकल्प और सुविचारित सोच को अमली जामा पहनाते हुए रूस की यात्रा की और रुस के राष्ट्रपति पुतिन के आमने-सामने बैठकर कहा कि यह समय अब युद्ध का नहीं रहा। जानकारों का मानना है कि मोदी जी ने पुतिन को यह बात तब कही जब पुतिन युक्रेन के खिलाफ परमाणुविक हमले के बारे में गंभीरता से सोच विचार करने लगे थे।
ऐन मौके पर मोदी जी की पहल ने विश्व को परमाणविक ध्वंस का शिकार बनने से बचा लिया। ऐसा नोबेल पुरस्कार चयन समिति को विश्वास हो गया है कि मोदी जी का यह विश्व राजनीति में एक बोल्ड स्टैंड था।
जो ऐसा होता है तो नोबेल शांति पुरस्कार समिति का यह सचमुच उपयुक्त फैसला होगा। ऐसे फैसले का हम हार्दिक स्वागत करेंगे।
लेकिन यह भी तय है कि हम में से कुछ के दिल जलेंगे तो कुछ अन्न — जल का त्याग कर देंगे। संभव है कुछ वानप्रस्थ लेकर इतिहास पुरुष बन जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं।
उम्र भर हम यही गलती करते रहे
धूल चेहरे पर थी,हम आईना साफ करते रहे।