आज मन भारी व असहज हो रहा है. असहज इसलिए कि संसार की गति ही आने और जाने की है और रहेगी भी.इस प्रक्रिया को आजतक परमात्मा ने भी नहीं रोका. चूंकि यह मृत्य लोक है और गीताकार ने कहा भी है , न तो मरती है और न ही मारी जासकती है.आज एक अमर आत्मा जिसका मणि कंचन संयोग कहा जाएगा का ब्रह्म भोज है.लोग आयेंगे श्रंद्धाजलि देंगे और बहुत अच्छी महिला थीं,अपना अपना जीवंत संस्मरण चर्चा कर गंतव्य की और रवाना होजाएंगे.
चर्चा कर कर रहे हैं स्मृति शेष आठदमा स्टेट की राजमाता श्रीमती कांचना सिंह की.जिनका जीवन निष्कलंक,बेबाक और स्पष्ट वादिता का प्रयाय था.सहज,सरल आत्मीयता भाव से परिपूर्ण राजमाता कांचना सिंह जब भी बस्ती आती,बुलाकर मिलना और आत्मीय भाव से बात करना उनका स्थाई संस्कार था.अपने स्वजनों पर स्नेह और बड़ों के प्रति सम्मान उनकी निधि थी,
लंबी बीमारी ने उनको हमसे छीन लिया,शायद विधाता को यही स्वीकार्य रहा हो.उनके पति पूर्व विधायक श्री आदित्य विक्रम सिंह और सुपुत्र श्री पुष्करादित्य सिंह ने सपरिवार पूरी सेवा की.पर नियति को कौन टाल सकता है.
आज वे सशरीर हमारे बीच न रहकर अनंत की यात्रा का रास्ता चुन लिया.फिर भी उनकी आत्म
अठदमा परिवार और उनकी संतति पर आत्मीय छाया निरंतर बनी रहेगी.कौटिल्य का भारत परिवार परम पिता श्री परमेश्वर से उनकी आत्मा की चिर शांति हेतु प्रार्थना करता है और परिवार पर हुए वज्रपात व अपूरणीय क्षति की पूर्ति हेतु ईश्वर से कामना करता है.राजमाता कांचना सिंह को उनसे मिलने वाला हर व्यक्ति अपने हिसाब से याद कर अंतिम प्रणाम कर रहा है.ॐ शांति:!!!