ईदकीअसीमशुभकामनायें🙏🌹


राजेंद्र नाथ तिवारी
#ईदकीअसीम शुभकामनायें🙏🌹


#नमाज की तरह संस्कृत में "ईड्" धातु से "ईद" शब्द बना है जिसका अर्थ होता है "स्तुति या अर्चना"। यजुर्वेद का पहला यज्ञ है "दर्शपौर्णमास यज्ञ" जो अमावस और पूर्णमासी की तिथियों को होता था । 'यज्ञ' शब्द भी 'यज्' बना अर्थ है वैदिक विधि से पूजन करना । रोमन साम्राज्य में सौर कैलेण्डर वाले तथाकथित ईसाई मासों के लगभग बीच में "इदु" नाम का त्यौहार होता था जिसका सम्बन्ध सौर कैलेण्डर से नहीं बल्कि चान्द्र कैलेण्डर से था । इस त्यौहार का न तो बाइबिल से कोई सम्बन्ध था और न ही यहूदी-इस्लाम वाले सेमेटिक सम्प्र्यदायों से । रोमन साम्राज्य की भाषा लेटिन भारोपीय परिवार की थी, सेमेटिक परिवार की नहीं जिससे अरबी, हिब्रू, आदि सम्बद्ध थे । अतः रोमनों के इदु पर्व का सम्बन्ध पूर्णमासी से था जो लगभग सौर मास के बीच में पड़ता था । इसका स्रोत था चन्द्रमास के अन्त अर्थात पर्वान्त में होने वाला वैदिक यज्ञ (दर्शपौर्णमास) । पश्चिमी एशिया के प्रदेश भी रोमन साम्राज्य के अन्तर्गत थे । किन्तु पश्चिम एशिया के अधिकांश हिस्से हज़ारों सालों तक असुरों के अधीन रहे थे, जिन्हें आधुनिक यूरोप वाले "Assyrian" लिखते है लेकिन प्राचीन काल में वे अपने राज्य को असुर कहते थे, राजधानी का भी नाम असुर था और राजाओं के नाम में भी असुर जुड़ता था (अन्तिम प्रसिद्द सम्राट था Asur-Banipal असुर-बनीपाल)। ये असुर लोग अत्याधिक अत्याचारी थे । 
अतः उस क्षेत्र के इदु पर्वों में खून-खराबा होने लगा । भारत में भी ऋषियों के वैदिक यज्ञों में असुरों द्वारा हड्डी फेंकी जाती थी । काव्य-उशना शुक्राचार्य महादेव के भक्त थे, उनके "काव्य" या का'बा तीर्थ में हिंसा होने लगी । इस प्रकार एक अहिंसक वैदिक यज्ञ की विकृति से ईद की उत्पत्ति हुई । ईद के सही अर्थ को जो समझे उन्हें ईद-मुबारक !

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