ट्रिपल इंजन की सरकार से शवदाह की दरकार!

 


सनातन परम्परा का अंतिम और यथार्थ सत्य है मृत्यु.महाभारत काल की घटना अज्ञातवास झेल रहे पांडव,एक दिन अति प्यास से व्याकुल हो उठे ,तब युधिष्ठिर ने क्रम में सबसे छोटे और अंत में स्वयं पानी की खोज में निकले.एक स्थान पर जाकर देखते हैं उनके चारों भाई एक जलाशय के पास मूर्छित अवस्था में पड़े हैं.उनको लगा शायद यहां तक आते आते हमारे भाई प्यास से व्याकुल हो मूर्छित हो गए होंगे.पर ऐसा था नहीं,उस जलाशय का मालिक वस्तुत:एक यक्ष था,उसने पानी छूने के पूर्व सभी भाइयों को सावधान किया"सावधान!बिना मेरे प्रश्नों के उत्तर दिए तो तुम सब मृत्यु को अंगीकार करोगे. सबने अनसुना कर मूर्छित अवस्था का वरण अनायास ही कर लिया.

बताते हैं युधिष्ठिर ने परिदृश्यों का अध्ययन किया और यक्ष के आह्वान को स्वीकारते हुए प्रश्नों का उत्तर देना आरंभ किया.युधिष्ठिर और यक्ष के बीच का संवाद महाभारत का महत्वपूर्ण प्रसंग है.परस्पर वार्ता में यक्ष ने कहा दुनिया का सत्य क्या है? उन्होंने कहा मृत्यु ,पर कैसे?उन्होंने कहा मृत्यु दुनिया का अंतिम सत्य है,मनुष्य जनता है कि उसका मरण निश्चित है ,पर वह मरण धर्मा हमेशा उसी से भागने को सदा तत्पर रहता है,क्या इससे बड़ा और कोई आश्चर्य होगा.

सनातन परम्परा पुनर्जन्म और मोक्ष के प्रति समर्पित है मृत्यु में बाद की स्थिति अंतिम यात्रा की होती है ,अपनी क्षमता के अनुसार लोगबाग निकटतम सरोवर या  नदी के किनारे अंतिम संस्कार संपन्न करते हैं,पर क्या आपने विचार किया? तीन घंटे श्मशान घाट पर खड़े रहना कितना कष्टकर होता है,गर्मी,जाड़ा,बरसात पानी ,धूप बरसात को झेलते हुए शव यात्रा में शामिल जनों के लिए यह यात्रा किसी बड़ी त्रासदी से कम नहीं.

पूर्वी उत्तरप्रदेश में मध्यम वर्ग की आबादी अधिक होने के कारण शवों को अयोध्या ले जाया जाता है.दुरूह यात्रा का नरकीय यातना कितनी कठिन होती है ,जो गया है वही जाने.खाने को उत्तर प्रदेश के अधिकाश शहरों में ट्रिपल इंजन की सरकार है,पर क्या इन सरकारों ने विचारा?अपने प्रिय परिजन की अंतिम यात्रा में शामिल लोगों को3 घंटे की नरकीय त्रासदी कितनी कठी होती होगी?पर अयोध्या में तो और सुरक्षा कारणों से श्मशान घाट का दृश्य कितना नरकीय है. जहां व्यक्ति खड़ा नहीं होसकता वह तीन घंटे कैसे बीतता होगा,आदरणीय मोदी जी,योगी जी और मेयर साहब क्या आपकी व्यवस्था में इतना भी कमतर धन है कि आप सभी महत्वपूर्ण शवदाह गृहों पर एक उचित व्यवस्था नहीं कर सकते?अयोध्या का शवदाह गृह और पूर्व कर अच्छा बनाया जासकता है.

#शवदाह गृहों के नाम पर पिछली सरकारों  ने नहीं लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ा.

सभ्य समाज में अंतिम सत्य को जब आप नकार नहीं सकते तो एक औसत स्तर का शवदाह गृह  नहीं देशकते?जनता जानना चाहती है हमारे टैक्स का हजारंश ही सही पर ठेकेदारी मुक्त शवदाह गृह आज सभ्य समाज की सर्वत्र आवश्यकता है.

राजेंद्र नाथ तिवारी

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