राजेन्द्रनाथवतिवारी
एक स्थापित राजवंश का वहशी शासक,इस्लाम परस्त,,हिंदू द्रोही मंदिर ध्वस्तीकरण का कारक या इससे भी जघन्य पापी, पितृ कुल द्रोही,भाई बहन सब को दंडित व हत्या के कलंक से जुड़ा था,पर आक्रांता का सामान्य अर्थ आक्रमण कारी से लिया जाता है,वह आक्रमण कारी नहीं लुटेरा था,आक्रांता या आक्रमण कारी आप, बाबर,तैमूरलंग,बख्तियार खिलजी मोहमद गोरी,मो गजनवी आदि को कह सकते है
औरंगजेब भारत के इतिहास के पन्नों में दर्ज वह नाम है, जिसकी क्रूरता के किस्सों से आज भी लोग सिहर उठते हैं. यह एक ऐसा जालिम राजा था, जिसने अपने पिता को जेल में डाला, अपने सगे भाइयों और भतीजों की क्रूरता से ह्त्या की. यहां तक कि अपनी प्रजा पर बर्बरता करते हुए इसने हिन्दुओं के सैकड़ों मंदिरों को भी तुड़वा दिया था. तो आईये जानते हैं हैवानियत को अपना धर्म मानने वाले इस क्रूर शासक को:
अव्वल दर्जे का अय्याश और क्रूर…
बड़ी तादाद में हिंदू मंदिरों को तोड़ा
सत्ता के लिए अपने सगे भाईयों का कत्ल
शिवाजी के सामने हो गया था बौना
ब्रज संस्कृति को खत्म करने की कोशिश
इस तरह खात्मा हुआ इस क्रूर शासक का
सन 1658 में औरंगजेब हिंदुस्तान के तख्त पर बैठा था. इतिहास गवाह है कि उसने बादशाहत का ताज अपने भाइयों और रिश्तेदारों का खून बहा कर हासिल किया था. उसने सत्ता हासिल करने के लिए जहां अपने भाइयों, दारा शिकोह और शाह शुजा का कत्ल करा दिया, वहीं अपने पिता शाहजहां को भी कैद दे दी. इतिहास में यह भी दर्ज है कि अपने जिस भाई मुराद बख्श के साथ मिलकर औरंगजेब ने शाहजहां के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था. हालाँकि, सत्ता हासिल करने के बाद उसने उस मुरादबख्श को भी मार दिया.
सत्ता के लिए अपने सगे भाईयों का कत्ल
अव्वल दर्जे का अय्याश और क्रूर…
सादगी का दिखावा करने वाला औरंगजेब सही मायने में अव्वल दर्जे का अय्याश था. उसने अपने शासन काल में क्रूरता की हद कर दी थी. उसने हिन्दू औरतों पर बहुत अत्याचार किए. उसका इस पर जोर रहता था कि हिन्दुओं के मरने के बाद, उनकी पत्नियां अपनी इज्ज़त बचाने के लिए आत्महत्या न कर सकें, जिससे उसकी ऐय्याशी का पता चलता है. उसने एक आक्रमणकारी की तरह देश को जमकर लूटा. रही-सही कसर उसने जजिया कर के माध्यम से पूरी की.
हिंदुओं और सिखों का जबरन धर्मपरिवर्तन
महजबी तौर पर था बड़ा कट्टरपंथी
औरंगजेब कितना बड़ा कट्टर शासक था, इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि, उसने हिन्दुओं को दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी चलाने से मना कर दिया था. हिन्दुओं को शीतला माता, पीर प्रभु आदि के मेलों में इकठ्ठा न होने का हुकुम दिया और हिन्दुओं को हाथी, घोड़े की सवारी करने से भी मना कर दिया गया. यही नहीं उसने सभी सरकारी नौकरियों से हिन्दू क्रमचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती का फरमान भी जारी किया था.
सिखों के नवे गुरु, गुरु तेगबहादुर का हत्यारा
हिंदुओं और सिखों का जबरन धर्मपरिवर्तन
यह हिंदुओं से नफरत करता था, इसिलए उसने हिंदुओं और सिखों को जबरन मुसलमान बनाने की मुहिम चलाई. जो प्यार से मान गया तो ठीक, नहीं तो उसने जोर जबरदस्ती करने में कोई कोताही नहीं बरती. उसने जब हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया, तो इसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ, पर वह कहां मानने वाला था. उसने बेरहमी से सभी की आवाजों को कुचल दिया. इसके साथ-साथ उसने मुसलमानों को करों में छूट दे दी. ताकि हिन्दू अपनी निर्धनता के कारण इस कर को न चुका पाये और मजबूरन उन्हें इस्लाम ग्रहण करना पड़े.
सिखों के नवे गुरु, गुरु तेगबहादुर का हत्यारा
औरंगजेब ने जब कश्मीरी ब्राह्मणों को इस्लाम कबूल करने पर मजबूर किया, तो उन्होंंने सिक्खों के नौवें गुरु तेगबहादुर से मदद मांगी. तेगबहादुर ने इसका विरोध किया तो औरंगजेब ने उन पर भी इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डाला. पर गुरु तेगबहादुर जी नहीं झुके. उन्होंने कहा हम शीश कटा सकते हैं, केश नहीं. यह सुनकर वह गुस्से से लाल हो गया और फिर उसने नानक जी का सबके सामने सिर कटवा दिया. इस दिन को सिक्ख आज भी अपने त्यौहारों में याद करते हैं.
औरंगज़ेब ने ब्रज संस्कृति को खत्म करने के लिए ब्रज के नाम तक बदल डाले थे. उसने मथुरा को इस्लामाबाद, वृन्दावन को मेमिनाबाद और गोवर्धन को मुहम्मदपुर का बना दिया था. वह बात और है कि यह नाम प्रचिलत नहीं हो सके. लेकिन कहते हैं न कि ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती. औरंगजेब पर भी ईश्वर की लाठी पड़ी. नतीजा यह हुआ कि जिस कृष्ण की संस्कृति को वह खत्म करने चला था. उसी संस्कृति की उसकी बेटी ‘जेबुन्निसा’ दीवानी हो गई और कृष्ण भक्त बनकर उसके सामने खड़ी हो गई.
बड़ी तादाद में हिंदू मंदिरों को तोड़ा
औरंगजेब ने पहले तो हिन्दू त्यौहारों पर प्रतिबन्ध लगाया और हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया. बनारस के ‘विश्वनाथ मंदिर‘ एवं मथुरा के ‘केशव राय मंदिर’ को इसी के कहने पर तोड़े गये. बाद में उसने तोड़े गये मंदिरों की जगह पर मस्जिद और कसाईखाने कायम कर दिये. हिन्दुओं के दिल को दुखाने के लिए इस क्रूर शासक ने गो−वध करने तक की खुली छूट दे दी थी.
शिवाजी के सामने हो गया था बौना
महाराष्ट्र के साथ इस निर्दयी शासक का बड़ा संघर्ष हुआ, जिसमें शिवाजी ने इसके हौसलों को पस्त कर दिया था. चूंकि शिवाजी का लक्ष्य भारत भूमि से विदेशियों के साम्राज्य को नष्ट करना था. इसी कारण उनके निशाने पर औरंगजेब था. माना जाता है कि शिवाजी के राष्ट्रव्यापी कार्य से वह विचलित हो गया था. शिवाजी ने उसके भेजे कई सेनापतियों को मार गिराया था. इसलिए वह हमेशा उनके सामने जाने से डरता रहा.
इस तरह खात्मा हुआ इस क्रूर शासक का
एक लम्बा शासन करने के बाद उसकी मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 1707 ई. में हो गई. उसकी मौत को कुछ लोग सामान्य मौत मानते हैं. तो कुछ लोगों का यह मानना है कि वीर छत्रसाल ने अपने गुरु प्राणनाथ के दिए खंजर से औरंगजेब पर वार करके छोड़ दिया था. कहा जाता है कि, गुरु प्राणनाथ ने उस खंजर पर कुछ ऐसी दवा लगाई थी कि, उससे होने वाला घाव कभी सही न हो. इससे घायल काफी समय तक तड़पते हुए दर्दनाक मौत मरे. औरंगजेब की कट्टर नीति ने इतने विरोधी पैदा कर दिये कि मुग़ल साम्राज्य का अंत ही हो गया.
औरंगजेब को क्रूरता लिए याद किया जाएगा. मंदिर तोड़ना, जजिया कर लगाना और सबसे बढ़कर भारतीय समुदाय पर अत्याचार करना उसका अक्षम्य अपराध था, जिसे माफ़ नहीं किया जा सकता. यही वह बड़ा कारण था, जिसने मुग़ल साम्राज्य को समाप्त ही कर दिया