क्या सिविल पुलिस हमारी वास्तविक नायक है ?या खानायक?


 राजेंद्र नाथ तिवारी 

पुलिस को इन सब सेवाओं और सुविधाओं का आत्म निवेदन करना होगा.इनपर कितना विश्वास आजभी जनता कर रही है?पुलिस ने अपनी शाख को बट्टा भी लगाया है.कुछ लोग आपको मिल जायेंगे ,आर्थिक अपराधों में अपनी संलिप्तता के कारण.आखिर उनका सुधार कौन करेगा,पुलिस,पुलिस मोहकमा या सरकार?




क्या सिविल पुलिस हमारी वास्तविक नायक है या खानायक?


बताते हैं भारत के पुलिसकर्मी हमारे  नायक है. जो हर दिन खतरों और कठिनाइयों का सामना करते हुए नागरिकों की सुरक्षा और संपति की रक्षा करते है। वे हमारे महान राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए हमेशा तत्पर रहते है। चाहे सार्वजनिक अशांति हो, आतकवादी हमले का खतरा हो, या सीमाओं पर संकट हमारे पुलिसकर्मी निडरता से हर चुनौती का सामना करते हैं।पुलिस की भूमिका केवल पारपरिक कानून वावस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नई और उभरती चुनौतियों के साथ निरंतर विकसित हो रही है। सीमाओं के भीतर और बाहर से ड्रोन हमलों और साइबर एआई आधारित अशांति जैसे खतरों के बढ़ते जोखिम के बीच, पुलिस बल अपने कौशल और तकनीकों को लगातार आधुनिक बना रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं या दुर्घटनाओं जैसी आपातकालीन स्थितियों में, पुलिसकर्मी हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े रहते हैं।

अपने कर्तव्यों की प्रकृति के कारण, भारत में पुलिस बल अत्यधिक तनाव का सामना करता है। निश्चित कार्य समय का अभाव और चौबीसों घंटे तत्पर रहने की आवश्यकता, अप्रत्याशित कार्य परिस्थितियां, जोखिम भरी स्थितियों का सामना, लंबे कार्यकाल और व्यक्तिगत समय की कमी जैसे कारणों से उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। हालांकि, हाल के वर्षों में पुलिस कर्मियों पर इन दबावों को कम करने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, जो उनकी कार्यक्षमता और मनोबल को बेहतर बनाने में सहायक साबित हो रहे हैं।

वर्ष 1947 से अब तक,  लगभग 36, 500 पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है। राष्ट्र उनके साहस, समर्पण और बलिदान को नमन करता है। उनका बलिदान न केवल गहरे शोक का कारण बनता है बल्कि असीम राष्ट्रीय गर्व का भी प्रतीक है। यह हमें संकल्पित करता है कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अपने परिवार के संरक्षक और प्रमुख सदस्य को खोने वाले शहीदों के परिवारों का सम्मान किया जाए और उन्हें पर्याप्त सहायता प्रदान की जाए। वित्तीय सहायता के साथ-साथ परिवारों को मार्गदर्शन और संपूर्ण सहयोग प्रदान करने के लिए गृह मंत्रालय और पुलिस बलों द्वारा प्रभावी योजनाएं लागू की गई हैं। शहीदों के परिवारों का विवरण डेटाबेस में सुरक्षित रखा जा रहा है. ताकि उनके साथ निरंतर संपर्क और मार्गदर्शन सुनिश्चित किया जा सके। पिछले वर्ष 216 पुलिसकर्मी शहीद हुए। उनका बलिदान हमें हमेशा उनकी महानता की याद दिलाता रहेगा और देश की सुरक्षा के प्रति हमारी जिम्मेदारी की और मजबूत करेगा।

करोना विभीषिका  में भी पुलिस का अदम्य साहस निर्वचनीय रहा.



उनके सवर्वोत्तम बलिदान को सम्मानित करने के लिए हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर केंद्र सरकार ने दिल्ली में एक राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का निर्माण किया है। श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2018 में इसका उद्घाटन किया। वर्ष 2019 से हर वर्ष केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, आसूचना ब्यूरो के निदेशक और सभी केंद्रीय पुलिस संगठनों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के वरिष्ठ अधिकारी पुलिस स्मृति दिवस पर यहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

प्रत्येक केंद्रीय पुलिस बल प्रत्येक सप्ताहांत पर बारी-बारी से राष्ट्रीय पुलिस स्मारक में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करता है। उसी परिसर में एक राष्ट्रीय पुलिस संग्रहालय भी बनाया गया है, जो भारतीय पुलिस की विकास, उपलब्धियां और बलिदान को प्रदर्शित करता है। पुलिस स्मारक अब पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनता जा रहा है। शहीदों को डिजिटल श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक ई-श्रद्धाजलि प्रणाली भी शुरू की गई है। यह पुलिसकर्मी के सर्वोच्च बलिदानों पर आधारित है।

वे नागरिकों की सुरक्षा, शांति और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखते है, माफिया और संगठित अपराधी समूहों को नष्ट करते हैं। हमारी सीमाओं की अखंडता को सुरक्षित रखते हैं। आतंकवादी नेटवर्क्स को नष्ट करते हैं और उनसे मुकाबला करते हैं। अपनी साहस, दृढ़ता, निःस्वार्थ समर्पण और बलिदान के साथ वे यह सुनिश्चित करते हैं कि हम और हमारे परिवार सुरक्षित रहें।

हमारा यह कर्तव्य और सौभाग्य है कि हम अपने शहीदों को सम्मानित करें और उनके परिवारों का हर संभव समर्थन करें, चाहे हम व्यक्ति हों, संगठन या समाज के रूप में। हम अपने वीर शहीदों को सलाम करते हैं और उनके परिवारों के प्रति अपनी गहरी और सशक्त कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
पर पुलिस को इन सब सेवाओं और सुविधाओं का आत्म निवेदन करना होगा.इनपर कितना विश्वाश आजभी जनता कर रही है?पुलिस ने अपनी शाख को बट्टा भी लगाया है.कुछ लोग आपको मिल जायेंगे ,आर्थिक अपराधों में अपनी संलिप्तता के कारण.आखिर उनका सुधार कौन करेगा,पुलिस,पुलिस मोहकमा या सरकार?
राजेंद्र नाथ तिवारी

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