सुप्रीम दयालुता से बचिए मिलार्ड? जस्टिस वर्मा केश अनोखा और अनूठा भी!

राजेंद्र नाथ तिवारी

सुप्रीम न्याय की अवमानना

जस्टिस वर्मा केश 

कॉलेजीय सिस्टम पर ग्रहण

आखिर जस्टिस वर्मा प्रयाग में ही क्यों ?

जस्टिस वर्मा के साथ प्रथम दृष्टया नरमी क्यों?


सुप्रीम दयालुता ......के क्या अभिप्राय निकाले जाएं सुप्रीम साहब! त्वरित न्याय या फैसला आखिर बिलंब से क्यों आए,क्या सुप्रीम कोर्ट का जज कदाचार या भ्रष्टाचार के मामले में सामान्य कानून से ऊपर है?जस्टिस वर्मा के केश में असामान्य मानकर तीव्र निर्णय की अपेक्षा न्याय जगत कर रहा था,पर अपने जहां से आए भी भेज  कर कर्तव्यों की इतिश्री कर लिया. और जस्टिस वर्मा को प्रयागराज हाईकोर्ट में आखिर क्यों घुसने दे?न्याय होने के बजाय न्याय दिखना भी आपका ही सुप्रीम कर्तव्य है,सुप्रीम साहब. न्याययिक प्रतिष्ठा दांव पर है टालने के बजाय सर्वस्पर्शी,समावेशी और प्राकृतिक न्याय के चश्मे से न्याय समीचीन होगा. देखिए क्या हो रहा है?
दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अधजले नोटों के वीडियो-फोटो युक्त रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीके उपाध्याय की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है.
 इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस द्वारा दिए गए कुछ फ़ोटो और वीडियो भी शामिल हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा पर आरोप लगे हैं कि- उनके नई दिल्ली स्थित आवास से भारी मात्रा में नोट मिले थे, जब 14 मार्च 2025 को उनके निवास के एक स्टोर रूम में आग लगी थी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीके उपाध्याय को एक प्रारंभिक पूछताछ करने को कहा था.
अब डीके उपाध्याय ने अपनी चिट्टी में चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना को कहा है कि- इस मामले में एक ’गहरी जांच’ की ज़रूरत है, क्योंकि.... उनकी जांच के अनुसार स्टोर रूम में केवल घर में रहनेवाले लोगों, नौकरों और मालियों का ही आना जाना था.अब यह मामला भारत के चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा गठित कमिटी को सौंपा दिया गया है, यही नहीं, पुलिस से जस्टिस यशवंत वर्मा के पिछले छह माह के कॉल रिकॉर्ड भी मांगे गए हैं, साथ ही, जस्टिस यशवंत वर्मा को निर्देश दिए गए हैं कि- वे अपने फ़ोन से कोई भी डेटा नहीं हटाएं.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की चीफ़ जस्टिस जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं.
ऐसे मामले में कमेटी जज को बेक़सूर भी पा सकती है, यदि कसूर बनता है तो... जज को इस्तीफ़ा देने के लिए कह सकती है और यदि इस्तीफ़ा देने से जज मना कर दे तो कमेटी उन्हें हटाने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सूचित कर सकती है.
इस मामले में चीफ़ जस्टिस संजीव खन्ना ने निर्णय लिया है कि- फ़िलहाल जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक ज़िम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी!
जज भी मानवीय संवेदनाओं से प्रतिबद्ध हैं कॉलेजियम सिस्टम पर अब पुनर्विचार की जरूरत आ पड़ी है.कृपया न्यायिक शाख को बरक़रार रखना होगा?

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