कौटिल्य शास्त्री
क्या खास है इस 'शीशमहल' में?
जगनमोहन रेड्डी का यह महल किसी राजसी हवेली से कम नहीं है। इसमें इटालियन संगमरमर की फर्श, सोने की कारीगरी से जड़े दरवाजे और खिड़कियां, महंगे विदेशी फर्नीचर और तमाम अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। इस बंगले में चार ब्लॉक्स बनाए गए हैं, जिनके लिए पहाड़ तक काट दिए गए। इतना ही नहीं, यहां 100 किलोवोल्ट का एक इलेक्ट्रिक सबस्टेशन, पक्की सड़कें, सीवेज सिस्टम और अलग से जल आपूर्ति की व्यवस्था तक की गई है।
क्यों मचा है विवाद?
इस आलीशान महल को लेकर सबसे बड़ा आरोप यह है कि इसे बनाने में पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने मई 2021 में इस इलाके को केवल पर्यटन विकास के लिए मंजूरी दी थी, लेकिन आरोप हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री की सरकार ने इसे जगनमोहन रेड्डी के निजी आवास के तौर पर बनवाने की योजना बना ली। अब आंध्र प्रदेश में एनडीए की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार है, जो इस महल को लेकर लगातार सवाल उठा रही है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने इसे सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला बताते हुए जांच शुरू कर दी है।
हो रही केजरीवाल के 'शीशमहल' से तुलना
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर भी ऐसा ही विवाद छिड़ा था। उनकी सरकार पर आरोप लगा था कि सिविल लाइंस इलाके में स्थित उनके बंगले की मरम्मत और साज-सज्जा पर 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए। बीजेपी ने इसे 'शीशमहल' कहकर तंज कसा था, तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी केजरीवाल पर निशाना साधा था। अब ठीक वैसे ही विवाद में आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी घिर चुके हैं। विपक्ष इसे जनता के पैसे की बर्बादी बता रहा है, जबकि रेड्डी की पार्टी इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई कह रही है।