देश की बढ़ती ताकत और कांग्रेस की तड़पन

 

देश की बढ़ती ताकत से कांग्रेडी तड़प रहे है।

भारत दिनोंदिन तेजी से अपने आर्थिक और सामरिक शक्ति में वृद्धि कर रहा है। इसलिए विश्व में सबसे ताकतवर देशों की लिस्ट में भारत चौथे नंबर पर आता है। भारत से पहले अमेरिका, चाइना और रसिया आते हैं। अब भारत के लिए इन तीनों देशों में एक प्रकार से जंग शुरू हो गई है। भारत को अपने खेमे में लेने के लिए अमेरिका, रूस और चीन में बड़ी कोल्ड वॉर शुरू हो गई है। यह तीनों देश भारत को खुश करने के लिए आपस में भिड़ने लगे है। मिल रहे खबरों के मुताबिक इतिहास में पहली बार रूस और अमेरिका के पांचवी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट बैंगलुरू में होने वाले एयर शो में आमने सामने होंगे।

रूस, अमेरिका और चीन तीनों ही भारत को अपनी तरफ करने में लगे हैं। आजकल चीन तो भारत को खुश करने के लिए अपने देश में रामायण की पाठ करवा रहा है। कैलाश मानसरोवर यात्रा को दोबारा शुरू करने के लिए भारत के साथ बातचीत कर रहा है। इसे साफ शब्दों में कहें तो अमेरिका, चीन और रूस अपने अपने फायदे के लिए भारत को अपने खेमे में लाना चाहते हैं।

यह तीनों देश जानते हैं कि भारत तेजी से बढ़ता एक बृहद अर्थव्यवस्था और बहुत बड़ी डिफेंस पावर है। अब वैश्विक परिदृश्य में भारत जिसके साथ होगा उसका पलड़ा भारी ही होगा। अमेरिका भारत को अपनी तरफ करके रूस और चीन का मुकाबला करना चाहता है !! चीन अमेरिका से बचने के लिए भारत पर डोरे डाल रहा है। इन दोनों के अलावा रूस भी भारत को अमेरिका से दूर रखना चाहता है। यह जंग बहुत दिलचस्प भी है और बहुत खतरनाक भी है। चीन अचानक से भारत का सबसे पक्का दोस्त बनने की कोशिश कर रहा है। इसका एक उदाहरण बीजिंग में देखने को मिला है।

जिस कम्युनिस्ट चाइना में ऑफिशियली नीतियों की वजह से 70% नास्तिक रहते हैं यानी वह किसी भगवान को नहीं मानते, उसी देश में धनुष उठाते भगवान श्रीराम, फिर श्रीराम जी के साथ माता सीता जी का विवाह, भैया लक्षम्ण जी का मूर्छित होना और रावण वध सभी कुछ चीनी कलाकारों के द्वारा में किया गया। चीन में भारतीय दूतावास की तरफ से इसरा तस्वीरें शेयर की गई हैं। रामायण के अलावा भी चीन ने भारत के साथ अच्छे कूटनीति संबंध बनाने के लिए अपने सभी प्रकार के प्रोटोकॉल तोड़ रहा है।

चीन ने भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी जी से मुलाकात किया और अपने आप ही बोलना शुरू कर दिया कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा दोबारा शुरू करते हैं।भारत से चीन के बीच सीधा फ्लाइट को भी दोबारा शुरू करते हैं । मामला इतने पर ही नहीं रुका, अब तो भारत और चीन के बीच कूटनीतिक रिश्तों के 75 साल पूरे होने पर कोलकाता में चीन के काउंसिल जनरल ने एक शानदार पार्टी का आयोजन भी कर दिया। पूरा विश्व हैरान है कि आखिरकार चीन को क्या हो गया है । खासकर पाकिस्तान यह सब देख और सुनकर अपना बाल नोचना शुरू कर दिया है।

दरअसल, यह चीन की मजबूरी है, उसे पता है कि भारत के साथ जबतक रूस और अमेरिका खड़े रहेंगे, उसे खतरनाक हथियार और टेक्नोलॉजी बेचते रहेंगे। भारत वैसे भी बहुत जल्द उसकी बराबरी कर लेगा । चीन यह भी जानता है कि आने वाले दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उसके लिए बड़ा खतरा बनने वाले हैं । उसकी इस आशंका को सही साबित करते हुए अमेरिका ने उस पर 10 फीसदी टैरिफ लगाकर दिखा भी दिया है।

अब चीन का कहना है कि वह इसके खिलाफ विश्व व्यापार संगठन WTO में मुकदमा दायर करेगा। चीन की वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा है कि चीनी वस्तुओं पर अमेरिका के अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ का दृढ़ता से विरोध करता है । इसकी कड़ी निंदा भी करता है।  इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक स्तर पर चीन की छवि को खराब करने के लिए फिर से बोलना शुरू कर दिया है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से फैला था।

दूसरी तरफ रसिया देख रहा है कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप भारत पर डोरे डालना शुरू कर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को फोन लगाकर उन्हें अमेरिकी हथियार खरीदने की बातें कर रहे हैं । अभी तक तो रूस भारत को सभी तरह के हथियार दे रहा था, भारत के लिए न्यूक्लियर रिएक्टर बना रहा था।  अब डोनाल्ड ट्रंप दोनों ही क्षेत्रों से रूस को हटाना चाहते हैं या भारत का रूस पर निर्भरता को कम करना चाहते हैं।  डोनाल्ड ट्रंप भारत को चीन का डर दिखाकर भारत को पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट बेचना चाहते हैं । अमेरिका ने बड़ी चालाकी से भारत के तेजस विमानों के प्रोडक्शन को लटका दिया है, तेजस विमानों में अमेरिकी इंजन लगना था, मगर अमेरिका ने इन इंजन की सप्लाई को लटका दिया है।

अमेरिका कोशिश में है कि भारत उसके फाइटर जेट खरीद ले । लेकिन रूस यह नहीं चाहता है। रूस चाहता है कि भारत उसके पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट खरीदे। यहां तक की रूस भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की पेशकश करने के लिए कह रहा है। अब दोनों देश भारत को अपना पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट बेचने के लिए आपस में भिड़ गए हैं।

दोनों देशों की रक्षा विशेषज्ञ एक दुसरे के विमानों की कमियां ढूंढ़ने के लिए जुट गए हैं। लेकिन भारत अब बहुत शांत स्थिति में खड़ा है। वह अपने डिफेंस सेक्टर और सेना को अत्याधुनिक बनाने के लिए स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा दे रहा है। जो कांग्रेडियों को बहुत चुभ रहा है कि यदि धोखे से कभी भविष्य में सरकार बन गई तो कमीशन कहां से आएगा।  किन्तु मोदी सरकार जहां जरुरत पड़ रही है, विदेशों से अस्त्र शस्त्र के साथ साथ टेक्नोलॉजी ही आयात कर ले रहा है, कमीशन वाली समस्या ही जड़मूल से खत्म। दिनरात अपने अर्थ व्यवस्था को टॉप फाइव से टॉप थ्री में लाने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। भारत बार बार सभी देशों को सूचित करता आ रहा है कि, उसका Foreign Policy बहु ध्रुवीय है।



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