सैलरी 30 करोड़ फिरभी कोई नहीं मिल रहा,रहस्य जानिए

 

30 करोड़ की सैलरी, सिर्फ स्विच ऑन-ऑफ करना है.. फिर भी कोई नहीं चाहता ये नौकरी! वजह जानिए.

अगर आपको सिर्फ एक जगह रहने के लिए 30 करोड़ रुपये की सैलरी मिले, तो? आप कहेंगे कि ये मजाक हो रहा है। कोई सिर्फ रहने के लिए इतनी भारी भरकम सैलरी क्यों देगा?

अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं, तो रुके और इस खबर को ध्यान से पढ़ें…

दुनिया में कई रहस्यमयी जगहें हैं, जिनका रहस्य आज भी कायम है। आज हम ऐसी ही एक जगह के बारे में जानेंगे। ये जगह है एक लाइटहाउस! लेकिन ये कोई साधारण लाइटहाउस नहीं है। आमतौर पर लाइटहाउस का काम जहाजों को रास्ता दिखाना होता है, लेकिन जिस लाइटहाउस की बात हो रही है, वह वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना भी है। जो लोग रोमांच और साहस से भरी जिंदगी पसंद करते हैं, उनके लिए ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है।

फिलहाल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि इस लाइटहाउस में एक रात भी गुजारना बेहद मुश्किल है। खास बात यह है कि यहां काम करने के लिए 30 करोड़ रुपये की सैलरी और आलीशान लाइफस्टाइल ऑफर की जाती है। लेकिन यहां पहुंच पाना बहुत ही कम लोगों के लिए संभव हो पाता है। आखिर इतनी सैलरी और सुविधाओं के बावजूद यह दुनिया की सबसे कठिन नौकरी क्यों मानी जा रही है? आइए जानते हैं…

इस जगह का इतिहास क्या कहता है?

प्रसिद्ध नाविक कैप्टन मॉरिशियस को एक बार मिस्र के अलेक्जेंड्रिया के पास भयंकर तूफान का सामना करना पड़ा। इस क्षेत्र में विशाल चट्टानें थीं, जिससे मॉरिशियस के जहाज को बड़ा नुकसान हुआ और कई लोगों की जान चली गई। इस घटना के बाद, यह साफ हो गया कि इस जगह पर एक लाइटहाउस होना जरूरी है।

तत्कालीन शासकों ने एक प्रसिद्ध वास्तुकार को बुलाया और समुद्र के बीच इस लाइटहाउस को बनाने की चुनौती दी। इसका मकसद था कि जहाज इन चट्टानों से दूर रहें और सुरक्षित रूप से सफर कर सकें।

यहां की खास व्यवस्थाएं

इसके बाद, मिस्र के अलेक्जेंड्रिया में फरोस द्वीप पर इस लाइटहाउस का निर्माण किया गया, जिसे 'द फरोस ऑफ अलेक्जेंड्रिया' के नाम से जाना जाता है। यह लाइटहाउस वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसमें इतनी बड़ी आग जलाई जाती थी कि उसकी रोशनी दूर से ही दिखाई देती थी। यहां तक कि विशेष लेंस की मदद से यह आग और भी दूर तक चमकती थी।

पहले काम में आता था, अब…

पुराने जमाने में लाइटहाउस का इस्तेमाल जहाजों की सुरक्षा के लिए किया जाता था ताकि वे भटकें नहीं और किसी दुर्घटना का शिकार न हों। पहले इन्हें समुद्री किनारे के पास बनाया जाता था, लेकिन बाद में उन्हें समुद्र में भी बनाया जाने लगा, जहां पानी उथला था और चट्टानों की अधिकता थी।

लेकिन बिजली के आविष्कार के बाद, इन लाइटहाउस में इलेक्ट्रिक लाइट्स लगाई जाने लगीं, जिससे इनका उपयोग और भी प्रभावी हो गया।

यह जगह सात अजूबों में से एक

'द फरोस ऑफ अलेक्जेंड्रिया' दुनिया के सबसे पहले लाइटहाउसों में से एक है। इसका निर्माण 284-246 ईसा पूर्व के बीच किया गया था। आज भी इस जगह तक पहुंचना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है। इसी वजह से, इसे प्राचीन काल के विश्व के सात अजूबों में गिना जाता था।

30 करोड़ रुपये की सैलरी पैकेज

इस लाइटहाउस की देखभाल करने वाले व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना होगा कि यहां की इलेक्ट्रिक लाइट हमेशा जलती रहे। चूंकि यह लाइटहाउस बेहद कठिन स्थान पर स्थित है और वहां पहुंचना भी बहुत चुनौतीपूर्ण है, इसलिए इस नौकरी को दुनिया की सबसे कठिन नौकरियों में से एक माना जाता है। इस लाइटहाउस में लाइट को चालू रखने और उसकी देखभाल करने के लिए 30 करोड़ रुपये की भारी सैलरी दी जाती है।

नौकरी में क्या करना होगा?

इस नौकरी में देखभाल करने वाले व्यक्ति को इस कठिन इलाके में रहना होगा। यह लाइटहाउस अक्सर भयंकर तूफानों की चपेट में रहता है। लेकिन किसी भी हालात में यहां अंधेरा नहीं होना चाहिए, यह जिम्मेदारी केयरटेकर की होगी। इस क्षेत्र में विशाल समुद्री लहरें आती रहती हैं, जो लगातार इस लाइटहाउस से टकराती हैं। कई बार तो यह लाइटहाउस आधे से ज्यादा पानी में डूब जाता है। ऐसे कठिन हालात में यहां रहना केयरटेकर की जान के लिए भी खतरा बन सकता है।

…इसीलिए कोई यहां काम करने को तैयार नहीं

इतनी शानदार सैलरी के बावजूद भी कोई इस नौकरी को करने को तैयार नहीं होता। यहां की स्थिति बेहद खतरनाक है और नौकरी की प्रकृति को देखते हुए व्यक्ति को पूरी तरह अकेले रहना पड़ेगा। शायद यही कारण है कि सिर्फ एक स्विच ऑन-ऑफ करने के बावजूद कोई इस नौकरी को अपनाने के लिए तैयार नहीं है।

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