संजय राउत ही शिव सेना को डुबोने के लिए काफी है ,मतिभ्रम के शिकार, राऊत

 संजय राउत द्वारा कुंभ मेले का अपमान; राउत के बयान से उद्धव ठाकरे की शिवसेना में गहरी नाराज़गी

संजय राउत एक बार फिर विवादित बयान देकर चर्चा में आ गए हैं। इस बार उन्होंने करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र महाकुंभ मेले का अपमान किया है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए उन्होंने महाकुंभ मेला, शंकराचार्य, नागा साधु, संत-महंत और हिंदू धर्म की उपासना पद्धतियों का अनादर किया है।


संजय राउत के इस बयान से उद्धव ठाकरे की शिवसेना के कई नेता नाराज़ हैं। राउत के ऐसे बयानों की वजह से शिवसेना की छवि 'हिंदू-विरोधी और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली पार्टी' के रूप में बन रही है। इससे पार्टी के नेताओं में बेचैनी बढ़ गई है।

2019 में जब उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई, तब से पार्टी ने मुस्लिम वोटरों को खुश करने के लिए हिंदू-विरोधी रुख अपनाया। संजय राउत अक्सर ऐसे बयान देकर यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि शिवसेना कांग्रेस की तरह धर्मनिरपेक्ष और हिंदू-विरोधी हो चुकी है। लोकसभा चुनाव में मुसलमानों से भारी समर्थन मिलने के बाद अब स्थानीय चुनावों में भी मुस्लिम वोट पाने के लिए हिंदू-विरोधी बयानबाज़ी जारी है। इसी कड़ी में संजय राउत ने महाकुंभ मेले पर टिप्पणी की है।

नागा साधुओं का महत्व

नागा साधु जगद्गुरु आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित एक सैन्य शक्ति हैं। ये साधु दशनामी संन्यासी परंपरा का हिस्सा हैं और पिछले 2,500 वर्षों से शस्त्र पूजन की परंपरा निभा रहे हैं। प्राचीन काल में नागा साधु आक्रमणकारियों से लड़ते थे। वे त्रिशूल, भाला, तलवार और अन्य हथियारों में निपुण थे। उनके साहस और धर्मरक्षा के कारण जनता में उनका सम्मान बढ़ा।

संजय राउत ने नागा साधुओं के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की, उन्हें “अघोरी विद्या करने वाले” और “अस्थिर आत्मा” कहा। इससे हिंदू समुदाय में भारी रोष व्याप्त हो गया है।

संजय राउत का बयान

संजय राउत ने कहा, “एकनाथ शिंदे हमेशा अस्थिर आत्मा हैं। उन्हें महाकुंभ मेले में जाकर नागा साधुओं के साथ बैठना चाहिए था। नागा साधु भी अस्थिर होते हैं। वे अघोरी विद्या करते हैं और तंबुओं में बैठते हैं। जो लोग महाराष्ट्र में अस्थिर हैं, उनके लिए योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में तंबुओं और साधुओं की व्यवस्था की है। अस्थिर आत्माओं को वहीं जाना चाहिए। महाराष्ट्र को उनकी इस अस्थिरता से क्यों कष्ट सहना चाहिए?”

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