सर्वोत्तम महाकुंभ व्यवस्था पर किसकी प्रेत छाया? वीआईपी संस्कृति या मेला प्रबंधन या नागा साधु स्नान




योगी आदित्यनाथ की अचूक व्यवस्था को किसकी प्रेतछाया ने लीला,यह हो जांच का विषय होसकता है,पर दिल्ली और लखनऊ को इस टाली जा सकने वाली हृदय विदारक विपत्ति पर आत्म चिंतन व मंथन अवश्य करना ही होगा.जो कुछ भी हुआ वह दुखद व असहनीय  है.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ में मंगलवार और बुधवार को मध्यरात्रि को हुई भगदड़ की घटना वास्तव में बेहद ही दुःखद और हदयविदारक है। महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन जहां करोड़ों की भीड चुनौती होती है। । एक छोटी सा कुप्रबंधन सबसे बड़ी असावधानी या किसी गलती के कारण इस तरह की भगदड़ से कई निर्दोष की जान चली गयी.जबकि अनेक लोग घायल हो इलाज के लिए अस्पताल का रुख मैं। प्रयागराज महाकुंभ में हुई दुःखद घटना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी , योगीआदित्यनाथ सहित देश के तमाम बड़े नेताओं ने संवेदना व्यक्त की है। 


यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक है, लेकिन फिर परम्परागत अनुतरित ज्वलंत प्रश्न खड़ा होगया है.यही है कि ऐसी घटनाएं बार बार क्यों होती हैं? कभी कोई अफवाह भगदड़ का कारण बनती है तो कभी अचानक कोई छोटो घटना बड़ी भगदड़ का कारण बन जाती है। फिलहाल प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं को बहती संख्या और उस पर वीआईपी मूवमेंट पर ज्यादा ध्यान देना भगदड़ का कारण बताया जा रहा है। यह सच है कि भीड़ भरे इलाकों में जब-जब वीआईपी मूवमेंट को प्राथमिकता दी जाती है, तथ-तब आम बद्धालुओं की सुरक्षा में कमी आ ही जाती है। ऐसे में भीड़ नियंत्रण के लिए बेहतर उपाय किए जाने की अक्सर सलाह दी जाती है, लेकिन एक चूक और आमजन की जान जोखिम में पड़ जाती है, जैसा कि महाकुंभ के दौरान देखने में आया है। 

अतः ऐसी स्थिति में भीड़ नियंत्रण के साथ ही वीआईपी कल्चर वाले प्रबंधन पर भी विचार करने की आवश्यकता आन पड़ी है। प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना ने पूरे देश को प्रकार कर रख दिया है। इस हादसे में कई श्रद्धालुओं की जान चली गई और अनेक लोग घायल हो गए हैं, धायलों का उपचार प्रथम प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है। ऐसे में जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने घटना को लेकर गहरी मंजिदनाएं और दुख जताया है वहीं हर बार की तरह, इस बार भी प्रशासनकी तैयारियों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने तो विशेष रूप से, भीड़ प्रबंधन और वीआईपी मूवमेंट को लेकर गहरी चिंताएं जताई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए भीड़ नियंत्रण को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा से अधिक प्रशासन का ध्यान वीआईपी मुबमेंट पर रहता है, जिससे अव्यवस्था फैलती है। यहां राहुल गांधी ने बहुत सही कहा है कि वीआईपी संस्कृति पर रोक लगाकर बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है। उन्होंने सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग भी की है कि आगे ऐसी घटनाएं, न हों और आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। बात बहुत ही गंभीर है, लेकिन सवाल यही है कि क्या वीआईपी मूवमेंट को दरकिनार कर आमजन को सुविधाएं मुहैया कराए जाने पर कार्य किया जा सकता है? इसके लिए आमजन की जिम्मेदारी तय करना मुश्किल बात है, लेकिन सरकार चाहे वी आईपी कल्चर पर रोक लगाते हुए खुद अपने स्तर पर जनसुविधाओं को बेहतर करने का काम कर सकती है।

 वीआईपी सुरक्षा के नाम पर जिस तरह से आमजन की भीड़ को नियंत्रित करने की परंपरा है, उसे बदलना फिलहाल किसी के बूते की बात नहीं है। है।ऐसा इसलिए है क्योंकि वीआईपी सदा से ही अपराधcजगत भीड़ के निशाने पर रहते आए हैं। ऐसे में अपराधी का सहारा लेकर वीआईपी पर हमले करते रहे हैं और देश ने ऐसे ही हमलों में अपने हरदिल अजीज अनेक नेताओं को रखोया भी है। इसलिए वीआईपी कल्चर बदलने से पहले देश में अपराध और अपराधियों को रोकने का माकूल इंतजाम करना होगा।

 महाकुंभ भगदड़ हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्होंने वक्त राहते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर भी लगातार बातचीत कर राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी ली है। पीएम मोदी ने प्रशासन को पीड़ितों की हरसंभव सहायता करने के निर्देश दिए। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर जाएं दुख जताया वहीं श्रद्धालुओं से भी संयम बनाए रखने को अपील की। इस प्रकार हादसे के बाद सत्ता पक्ष औरग विपक्ष सभी ने परंपरागत तरीके से दुःख जताया है घटनाएं आगे कोई बेहतर हल न हो इसके लिए क्या मिल बैठकर निकाला जा सकेगा? 

सरकारी मशीनरी का अनथक प्रयास नजरंदाज नहीं किया जासकता.सबको सरकार की आलोचना करने का अधिकार है.पर बाद में कर्लिजिए गा.आज अब मिलकर शताब्दी के सबसे बड़े महापर्व को मानसिक और बौद्धिक रूप से ही सही योगी के मनोबल को उठानी चाहिए नकी व्यवस्था और प्रबंधन पर चतुर्दिक वाक प्रहार कर.

राजेंद्र नाथ तिवारी


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