आत्महत्या की ओर बढ़ती कांग्रेस!खरगे ही उसका करेंगे पिंडदान !


 कौन्ग्रेस के पतन के लिए जितना गांधी परिवार जिम्मेदार है उससे कहीं ज़्यादा कौन्ग्रेस पार्टी के समर्थक हैं.... कभी किसी बात पर सवाल नहीं उठाते... इससे हाई कमान को लगता है कि हमारे सारे फैसले सही हैं... दिल्ली का ही देखो... पहले राहुल हुंकार भर कर आया लेकिन स्टालिन के एक फ़ोन कॉल के बाद घर पर दुबक गया... बहाना.. तबियत नासाज है... लेकिन एक भी कौन्ग्रेसी की हिम्मत नहीं जो पूछ सके कि चल भाई तू बीमाऱ है.. तो प्रियंका तो ठीक है ना... खड़गे जी भी स्वस्थ हैं...वो काहे नहीं कूद रहे चुनावी रण में?? बेचारे दिल्ली के कौन्ग्रेसी... गले की फांस बन गए उनके लिए चुनाव... राहुल के भरोसे केजरीवाल को निपटाने का काम शुरू किया और राहुल ही हट पौरुष हीन भाग्य गया... समझ में नहीं आ रहा बेचारों के कि करें तो क्या करें?? ना पार्टी के समर्थक कहीं आवाज उठाते नज़र आते हैं... हमेशा अपने नेतृत्व से जलील होने के बावजूद चिपके हैं..

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इसके विपरीत... भाजपा समर्थकों को देख लो... जरा कुछ जमा नहीं कि हाथ में सोंटा लिए मोदी को भी दौड़ा देते हैं..जम के गरियाते हैं... और स्थिति सामान्य होने पर यथास्थिति में लौट आते हैं... वर्तमान या पूर्व का कोई भी निर्णय देख लो.. जो जो भाजपा समर्थकों को पसंद नहीं आया, हर एक के लिए उन्होंने भाजपा नेतृत्व का विरोध किया... जिस भी दल के साथ रचनात्मक विरोध करने वाले जुड़े हों... उसको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.. भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र है कार्यकर्ता4 कहीं भी अपनी बात कहने को स्वतंत्र.

और कांग्रेस?मूल सिद्धांतों से भटकती नैराश्य प्रेत की आत्म हे. कांग्रेस में परिवार से पूछे बिना राम को कोई राम नहीं कह सकता.परिवार बाद की नाव पर बैठ कर कांग्रेस आत्म हत्या को उतारू है.जिसे का कोई भी विश्वास न करे उसका नाम ही कांग्रेस.अभी कुंभ जो वैश्विक मीडिया का प्रिय विषय बन चुका के,उसपर भी खरगे की टिपण्णी को क्या कहेंगे.हजारों करोड़ का मालिक फिर भी खरगे दलित.कांग्रेस सबको निपटती है अबकी. बारअंबेडकर उसे खटक रहे.परिवार के पृष्ठ गायन से अम्बेडकर ऊपर कैसे?कांग्रेस का संविधान बचाओ अभियान केवल एक बहाना है वैसे  वस्तुत:परिवार वादियों को अम्बेडकर को ही मिटाना हे. कांग्रेस नेहरू परिवार से ऊपर परमात्मा को भी नहीं स्वीकारती.जबकि आंबेडकर का आज स्थान किसी युग प्रवर्तक से कम नहीं.कांग्रेस दलितों को सदा से दिवास्वप्न दिखाती रही है अपने को फैल होते देख; अम्बेडकर तेरा 

 सहारा  का अभियान उसकी असफल होती मानसिकता का ही पर्याय हे.आखिरकिसी अयोग्य को विदेशी मडिया,विदेशक्मसिकता,विदेशी ताकतों के बल पर कब तक बास के सहारे खड़ा किया जासकता हे.

कांग्रेस से आंतरिक लोकतंत्र अदृश्य हो चुका है,गांधी जी ने तो ख ही दिया था,कांग्रेस की अंत्येष्टि के देनी चाहिए.जो कांग्रेस गांधी के विचारों की हत्या हजारवी बार, आंबेडकर की वैचारिकी लाखों बार,और संविधान  की हत्या असंख्य बार कर चुकी वह संविधान के बचाने का अरण्य रोदन का चीत्कार जनता की समझ में अचुका है समाज को चाहिए हिंद महासागर में कांग्रेस की अंत्येष्टि खरगे के ही हाथों करवा दे.और परिवार को सुरक्षित इटली ननिहाल.

इतना होने पर भी भाजपाइयों को अंध भक्त कांग्रेसी कहते हैं और देश उन्हें कौरव पक्ष का पिता धृष्टराष्ट्र..

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