कांग्रेस सदैव एक परिवारिक, गलियारी, निम्नस्तरीय, सांप्रदायिक, महाभ्रष्ट और ग़द्दार पार्टी रही है। एक शाही परिवार द्वारा नियंत्रित कांग्रेस सदैव ही चीन, आतंकवादियों, पाकिस्तान, इस्लामी कट्टरवादियों, हिन्दू विरोधियों, देश विरोधियों, अवैैध रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों, माओवादियों और विभिन्न अपराधियों आदि के साथ मज़बूती से खड़ी रही है। यह पार्टी दिशाहीन, नीतिरहित, कार्यक्रमरहित, आत्मसम्मानविहीन और नेतृत्वविहीन चल रही है पर इसके पास चमचों, भ्रष्टाचारियों, तुष्टिकरणवादियों और ग़द्दारों की पूरी की पूरी फौज़ है। यह वोटों के लिए पूरी निर्लज्जता से किसी भी सीमा तक जा सकती है। सही या ग़लत नहीं देखना है भले ही देश बिक जाये। इसका पूर्व रिकाॅर्ड इसकी पुष्टि करता है। इस पुनीत कार्य हेतु इसे विदेशी स्रोतों से भी मोटा माल भी मिलता है। इसका मुख्य कारण इसके शाही परिवार में हिंदु और भारतीय रक्त की भयानक कमी होना है। इसके लिए भारत देश सत्ता और पैसा की लूट-पाट करने का एक साधनमात्र है। इन लोगों की निष्ठा भारत और हिंदुओं को छोड़कर किसी के प्रति भी हो सकती है।
मुस्लिम लीग का वर्चस्व क्षीण होने के पश्चात उस रिक्त स्थान को हथियाने के लिये कांग्रेस, ममता, अखिलेश यादव, लल्लू, मायावती, केजरीवाल और ओवैसी में कड़ी स्पर्धा चल रही है। आज कांग्रेस मुस्लिम लीग से अधिक ख़तरनाक पार्टी बन गयी है। बुरी तरह हताश, निराश और पस्त कांग्रेस पिछड़ेपन और ग़द्दारी के नित-नित नये-नये निचले स्तर खोज-खोजकर छू रही है। 140 वर्ष के अपने इतिहास में कांग्रेस वालों ने कोरी बक़वास, अक्षमता, अहंकार, परिवारवाद, भ्रष्टाचार, ग़द्दारी और तुष्टिकरण के अतिरिक्त कुछ नहीं सीखा है। आजकल इसका एकमात्र लक्ष्य हिंदुओं को कैसे भी बाँटकर, लूटकर, हिंदुओं, हिंदुत्व और सनातन का अपमान कर और तुष्टिकरण के सहारे ठोस और एक-पक्षीय मुस्लिम वोट प्राप्त करना रह गया है। इस दल के लिए हिंदुओं के जीवन का कोई अर्थ नहीं है। कनाडा में हुए हिंदुओं पर आक्रमण पर भी यह लोग चुप रहे है। इनसे कुछ भी सभ्य और सुसंस्कृत की अपेक्षा करना व्यर्थ है