आज हिन्दू मुस्लिम और ईसाइयत से परेशान है. परेशानी ये है कि मुस्लिम हमको आबादी से घेर रहे हैं और ईसाई अपनी टेक्नोलॉजी से घेर रहे हैं. हिन्दू के गले में वो रसी है जिसमे एक छोर पर मुस्लिम है दुसरे छोर पर ईसाई . दोनों तरफ से धीरे धीरे रसी खींची जा रही है और हिन्दू का दम घुट रहा है. अगर हिन्दू सामान सिर्फ हिन्दू से ही खरीदे और कसम खाये कि और कही से नहीं खरीदेगा तो बच सकता है या फिर योगी नीति ही कामगार है. अन्यथा अपने आने वाली पीढ़ी का वही हाल होने के लिए तैयार रहें जो अभी बांग्लादेश में हुआ है.
जगन मोहन रेड्डी के पिता वाईएसआर चंद्रशेखर रेड्डी और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म अपना चुका था। उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार ईसाई रीति-रिवाज से किया गया। जगन मोहन रेड्डी जब मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने अपने ईसाई चाचा को तिरुपति देवस्थानम बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। इसके बाद, उनके चाचा ने बोर्ड में 40 से अधिक गैर-हिंदू कर्मचारियों को नियुक्त किया। तिरुपति मंदिर में पहले घी की सप्लाई नंदिनी डेयरी से होती थी, लेकिन जगनमोहन रेड्डी के चाचा ने यह कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया। जांच के बाद पता चला कि नया कॉन्ट्रैक्ट तमिलनाडु की एक ईसाई कंपनी को दिया गया, जिसने घी में गाय और सूअर की चर्बी और मछली का तेल मिलाया। इस मामले में कई सवाल उठते हैं, जैसे मंदिर में गैर-हिंदू नियुक्तियों और घी सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट को लेकर।