जातिवाद राजीतिक दफ्तरों,सरकारी सुविधा के नाम पर सरकारी कार्यालयों के अतिरिक्त कहीं मिले तो बताइएगा.साथ खाना,उठना,बैठना परस्पर संबंध ,रोटी बेटी संबंधों ने भी जातिवाद को हतोत्साहित किया है. जातिवाद राहुल का संवैधानिक गुटका और पीडीए का भोजन है.
जातिवाद आज सिर्फ सरकारी जाती प्रमाणपत्र पर है बाकी जगह बिल्कुल खत्म हुआ है, आज होटल में खाना खाते समय कोई पुछता है की किस जाति वाले ने रोटी, सब्जी बनाई है ? हम किसीके भी हाथ का बना आज खा लेते हैं, पानी पीते हैं, शहरों में स्विगी, झोमैटे से किसी से भी हाथ का बनाया खाना मंगाते हैं.
आज इंटरकास्ट मैरेज भी हो रहे हैं. बाबासाहेब आंबेडकर, रामदास आठवले की पत्नी ब्राह्मण है. कई मुख्यमंत्री दलित रह चुके हैं, दलित आज सर्वोच्च पद पर राष्ट्रपति भी बना है. आज बहुत सारे IAS, IPS, डाक्टर, इंजीनियर भी दलित हैं, बहुत सारे बड़े कंपनियों में मेनेजर, डायरेक्ट वगैरा दलित हैं.
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर को पढ़ाने वाले, उनको 'आंबेडकर' यह नाम देने वाले, उनको शिक्षावृत्ति देकर विदेश में पढ़ाई के लिए भेजने वाले, उनको घटना कमिटी में लेने वाले, उनसे अपनी बेटी का विवाह कराने वाले सब सवर्ण ही थे.
पुराने समय के उदाहरण में हनुमान, नल, नील, सुग्रीव, शबरी वगैरा सब वनवासी, आदिवासी थे जिनको साथ लेकर भगवान ने लंका जिती थी. राजा दुष्यंत ने आदिवासी शकुन्तला से विवाह किया था, महाभारत युद्ध में तो कई आदिवासी राजाओं का पांडवों के साथ युद्ध मे खड़े रहने का संबंध मिलता है. पहले राजाओं के साथ मिलकर स्थानीय आदिवासी, भीलों की सेना वगैरा भी युद्ध मे जाती थी. पहले के ऐसे सेकडों उदाहरण है जहां हम सब एकसाथ मिलकर रहते थे.
आज भी किसी जगह दलित को घोड़े पर नहीं बैठने दिया, दलित को मारा-पिटा वगैरा सुनने में आता है, जहां आपसी रंजिश को दलित-सवर्ण का विवाद देकर मामले को तुल पकड़ाया जाता है, ऐसे मामले हो अथवा गलत तरीके से SC/ ST Act में फंसाने के मामले हो सब जगह समझदारी से काम लेना चाहिए.
यहां दलित और गैर-दलित यह अंग्रेजों की तोड़ो और राज करो निती के अंतर्गत भारत में किया गया था, जिसके कारण हमें आज भी चुटपूट घटनाएं सुनने को मिलती हैं.