राहुल गांधी कांग्रेसियों के गुरु, विपक्षी (श्री कृष्ण) के लिए शिशु पाल,झूठ का सौदागर गलतियों के लिए भी गलती न मानने वाला वायरल

 राहुल गांधी लाखो गलतियों  के सोदागर हैं  फिल्म थी गंगा-जमना का एक बहुत प्रसिद्ध गीत है "ना मानू, न मानू, दगाबाज तोरी बतिया ना मानू रे"। इसे फ़िल्म में बैजन्तीमाला पर बखूबी फिल्माया गया है।परन्तु उससे भी अच्छी तरह इस गीत को श्री राहुलजी असल जिंदगी में चरितार्थ कर रहे हैं। बीजेपी और खास तौर पर श्री नरेन्द्र मोदीजी की कोई बात इन्हें नहीं भाती क्योंकि ये उन्हें "दगाबाज" सिद्ध करने की ठान चुके हैं।


तीन बातें विशेष हैं: (1) उनका मानना है कि हर बार अकेले वही सही होते हैं, बाकी सब गलत होते हैं; (2) वे मानते हैं कि केवल वही कभीभी कहींभी, व कुछभी बोलने के लिए स्वतंत्र हैं; और (3) जो सबसे महत्वपूर्ण है वह यह कि किसी भी गलत वक्तव्य के लिए क्षमा याचना उनके अनुसार शान के खिलाफ़ बात होती है।वे वादतो व्याघात के महारथी हैं,मोदी का धैर्य ही उनका महा बल है.


"नोट बंदी", "धारा 370", "तीन तलाक", राम मंदिर आदि का विरोध; सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगना, संसद में आंख मारना व "चौकीदार चोर है" "सब मोदी चोर होते हैं", "मोदी झूठ बोलते है", जैसे बयान देने का काम इन्हीं के बस की बात है। इस सभी का नतीजा है कि वे अपनी विश्वसनीयता तेजी से खोते जा रहे है। अब तक उन्हें समझ लेना चाहिए कि अपनी गलती के लिए माफी मांग लेना बडकप्पन की निशानी है न कि कमजोरी। वे मानते है कि इनके परिवार के अन्य लोगों ने तो आसान काम खुद करके इनसे "मोदी हटाओ" जैसा बड़ा काम कराना चाहते है। इसके लिये ये कटिबद्ध भी हैं, परंतु मोदी तो अंगद के पाँव की तरह "टरहि न टारे" बने हुए है।

जनता उनकी पॉलिसी समझ चुकी है। आज के लोंगों को न मोदी से प्यार है न राहुल से। उन्हें चाहिए भष्टाचार रहित सुशासन जिसका मुख्य खम्भ हो देशहित। चूँकि मोदी सरकार से यह आस पूरी होती दिख रही है अतः विरोधी फड़फड़ा ते हैं

जो भी हो न वो शशुपाल हैं। न ही कलयुग में कोई कृष्ण। वैसे श्रीमान इतनी शीघ्रता से गलती करते रहते हैं की उनकी गड़ना, असंभव प्राय है। राहुल वैसे ही हैं जैसे राहुल को होना चाहिए

राजेंद्र नाथ तिवारी

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