क्या आपने अपने अंदर के रावण को मारा? रावण को अब जलाने नहीं धीरे धीरे छोटा करिए फिर एकदिन वह खुद समाज से विदा होजाएगा.यही आज की आवश्यकता है.

 

सबसे पहले आप सभी पाठक गणों को नवरात्रि और दशहरा पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं .



सनातन परंपरा का पर्व दशहरा का त्योहार मनाते हुए रावण को जलाया जाता है, फिर भी वह जलता कहां है? दरअसल हम रावण को नहीं जलाते हैं, उसके पुतले को जलाते हैं।पुतला तो रावण का प्रतीक मात्र है । असली रावण तो हम मनुष्यों के अंदर छुपे बैठा होता है - राग-द्वेष,मद , मोह, ईर्ष्या, हिंसा, अहंकार,लोभ, लालच, स्वार्थ, असंतोष, क्रोध, घृणा आदि के रूप में। जलाना तो इन दुर्गुणों को था । रावण हमारे अंदर के दुर्गुणों का प्रतीक है।
 असली रावण के जगह हर वर्ष उसके पुतले जलाने के कारण हीं असली रावण आज भी बढ़ता ही चला जा रहा है और अजीब संयोग है कि हमलोग भी हर साल पुतले के ऊंचाई को भी बढ़ाते जा रहें। इससे हमारे अंदर का अहंकार रूपी रावण खुश होकर खिल खिला उठता है।60 से 80, फिर 100, और 100से 150फीट ,समाज में भी भ्रष्टाचार, दुराचार, अनाचार, व्यभिचार, क्रोध, हिंसा, नफरत, आतंकवाद आदि उसी पुतले के अनुरूप बढ़ ही तो रहा है। 
मेरे विचार से रावण के पुतले को जलाना नहीं चाहिए उसे साल दर साल छोटे करते जाना चाहिए और एक दिन ऐसा आए कि उसका अस्तित्व ही खत्म हो जाए। रावण के पुतले को जला कर कर्मकांड और मनोरंजन नहीं करना है बल्कि हम मनुष्यों के अंदर छुपे रावण से छुटकारा पाने से ही समाज में सुख, शांति, समृद्धि, निर्भयता, अहिंसा, सद्भाव का माहौल बनेगा।


सच बात तो यह रावण को नहीं जलाया जाता है बल्कि उसके अंदर भरे हुए अहंकार ,घृणा और गलतप्रवृत्ति को जलाया जाता है ।लेकिन हमारे वेद शास्त्रों में जितनी भी कथाएं हैं उससे मानव जीवन को जीने का रास्ता दिखाती है लेकिन बहुत कम ही लोग उसे अपनाते हैं उसे मजाकिया अंदाज में लेते हैं और उससे अपने जीवन में कुछ नहीं सीख पाते हैं .
असल में हमें रावण को नहीं अपने अंदर जितने भी गलत प्रवृत्ति है उसे जलाने की जरूरत होती है और इसीलिए रावण को जलाकर एक प्रतीक रूप में दिखाया गया है कि रावण एक महान पंडित होते हुए भी अपने कुकृत्य से पूरे विश्व को त्रस्त करता था जिसके चलते भगवान को अवतार लेना पड़ा और रावण जैसे घमंडी पापी और दूसरों को संताप देने वाले को मारना पड़ा।

इससे से हमें यही सीख मिलती है कि हमें संकल्प लेना चाहिए कि हमारे अंदर जितनी भी बुराइयां हैं उसे आज इस रावण के पुतला के साथ ही जलाकर भस्म कर देना चाहिए। क्योंकि हर मनुष्य में एक रावण छुपा होता है चाहे वह किसी भी रूप में हो लेकिन होता जरूर है और हमें उसे ही जलाने की जरूरत है।
रावण को अब जलाने नहीं धीरे धीरे छोटा करिए फिर एकदिन वह खुद समाज से विदा होजाएगा.यही आज की आवश्यकता है.
 

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