नवरात्रि ही क्यों?

शक्ति और भक्ति का स्नान है नवरात्रि व्रत और त्यौहार. सनातन की आत्मा भी नवरात्रि में ही निवास करती है.शक्ति उपासना राम, कृष्ण सभी ने  समय समय पर की है.

नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है , पहला चैत्र मास में जिसे चैत्र नवरात्रि कहते है, दूसरा अश्वनी मास में जिसे शारदीय नवरात्रि कहते है । नवरात्रि के दिनों में नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा होती है । अश्वनी मास में मनाए जाने वाले नवरात्रि में दसवें दिन विजयदशमी यानी दशहरा त्योहार के रूप में मनाया जाता है । महिषासुर नामक राक्षस का बध करने के लिए नौ दिनों तक माता दुर्गा और महिषासुर संग्राम चला । 

अंततः महिषासुर का बध करके माता दुर्गा महिषासुर मर्दनी कहलाई । तभी से नवरात्रि पूजा का शुभारंभ हुआ । लोग नवरात्रि में नौ दिन व्रत रखते है तथा इसके अलावा अनेकों कष्ट सह कर माता दुर्गा की आराधना करते है । क्या इससे माता दुर्गा जी प्रसन्न होती है ?

 इसका उत्तर जानने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखी हुई पवित्र अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा अवश्य पढ़ें । गीता अध्याय 6 श्लोक 16 तप और व्रत के लिए मना किया गया । श्रीमद देवी भागवत पुराण स्कंध 7 पृष्ठ 562 में देवी द्वारा हिमालय राज को ज्ञान उपदेश में स्वयं किसी और भगवान की पूजा करने के लिए कहती है । गीता जी अध्याय 16 के श्लोक 23 में कहा गया है की जो शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते है उनको न तो कोई सुख मिलता है , न शांति मिलती है और न मोक्ष ही प्राप्त होता है । 


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