दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के पूर्व कार्य परिषद के सदस्य कृतकार्य प्राचार्य श्री गणेश प्रसाद पांडे ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और कार्य परिषद के सदस्यों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सब लोग मिलकर विश्वविद्यालय की व्यवस्था को चोट पहुचा रहे हैं .लगभग 20 वर्ष से ऊपर हो गया विश्वविद्यालय की कार्य परिषद का चुनाव नहीं हुआ ज्ञातव्य हे की 15 प्रतिनिधि गोरखपुर विश्वविद्यालय के स्नातको में से चुना जाता है .श्री पांडे ने बताया है की अनेक कुलपतियों ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से अपनी बाध्यता बताइए और कहा मैं बेबस हूं,मैं जीवन काट रहा हूं. अपने बस का यहां कुछ नहीं है .
अगर गोरखपुर विश्वविद्यालय जैसी सर्वोच्च संस्था बेबस और पर बस है तो आखिर कौन इसका जिम्मेदार है .वाइस चांसलर जिम्मेदार है, रजिस्टर जिम्मेदार हैं, कार्य परिषद का सदस्य जिम्मेदार है या ऐसे ही तदर्थवाद चल रहा है या उत्तर प्रदेश सरकार जिम्मेदार है .किसी की भी तो जिम्मेदारी तय होगी .
पांडे ने बताया है कि मैं कार्य परिषद का सदस्य और विश्वविद्यालय कोर्ट का काफी दिनों तक मेंबर था .आज स्थिति आ गई है परस्पर इतनी संवाद हीनता हो गई है की बहुत वर्ग को कार्य परिषद में शामिल न करके विश्वविद्यालय अपनी मनमानी कर रहा है .उन्होंने कहा जब तक आंतरिक लोकतंत्र विश्वविद्यालय में स्थापित नहीं हो जाता तब तक वहां कुछ भी प्रगतिशील हो पाना कठिन है.
उन्होंने कहा है कार्य परिषद के सदस्य आपस में ही सुविधाओं और व्यवस्थाओं को वाट कर कर ले रहे. उन्होंने कुलपति को पत्र लिखकर शीघ्र साधारण सभा का चुनाव करने की मांग करते हुए कहा है की साधारण सभा के चुनाव के बाद 15 प्रतिनिधियों को कार्य परिषद में भेज कर विश्वविद्यालय अपनी सुचिता का परिचय दें .
उन्होंने कहा है कि अगर कुलपति ने इसका ध्यान नहीं दिया तो मैं कुलाधिपति को लिखूंगा .अन्यथा माननीय माननीय उच्च न्यायालय के शरण में जाने के लिए बाध्य हो जाऊंगा .शाख गिरने की सारी जिम्मेदारी कुलपति और विश्वविद्यालय के कार्य परिषद के सदस्यों की होगी.