एक देश एक चुनाव देश हित,दलों के हित और अपब्य रोकनेवमे सक्षम

 


वन नेशन वन इलेक्शन का प्रारूप जिसको देश की कैबिनेट में स्वीकार कर लिया है वह वास्तव में एक देश एक चुनाव के अपने चुनौती पूर्ण संकल्प और फैसले के लिए जाना जाएगा .भारत में लोकतंत्र मजबूत एवं स्केशक्त बनाने के लिए एक देश एक चुनाव बहुत आवश्यक है .इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार को सहयोगी दलों का पूरा समर्थन मिल रहा है.दो बड़े दलों में से एक जेडीयू ने मोदी के एक देश एक चुनाव वाले इरादे पर सहमति जताई है, कहा गया कि राजग सरकार अपने वर्तमान कार्यकाल में महत्वपूर्ण फैसले लागू करने के लिए जानी जाएगी .भारत की वर्तमान चुनाव प्रणाली में निहित कई चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा बहुत ही आवश्यक थी .

शासन ने सभी स्तरों पर पंचायत, न्यायपालिक पंचायत राज्य और राष्ट्र में एक साथ चुनाव कराने से खर्चे में प्रभावशील और प्रशासनिक दक्षता में बहुत उत्साह और आएगा. नए भारत में शासन ,भारत और विकसित भारत के संपन्न को आकार देने का मुख्य आधार बन सकता है आजादी के अमृतसर की अमृतसर सामने आ सकता है .वीएन नेशन वन इलेक्लेशन .अब यह सहज नहीं रह गया है .फिर भी नरेंद्र मोदी की सरकार निरंतर के सिद्धांत को आगे बढ़ती जा रही है. देश एक एक चुनाव योजना को लागू करके राजग के लिए भीबड़े चुनौती होगी लेकिन इस बार विपक्ष पहले के मुकाबले मजबूत भी है . एक राष्ट्र एक चुनाव का प्रयास शासन में सुनिश्चितता देगा परंतु कोई बार-बार चुनाव होते हैं एक दूसरे राज्य में आचार संहिता लगानी पड़ती है साथ ही साथ शासन प्रणाली की सुरक्षा बलों की ऊर्जा अच्छे होता है जनशक्ति का अनावश्यक जय होता है विगत लोकसभा चुनाव खर्च होते हैं.

गत लोकसभा चुनाव में 6600 करोड रुपए आया था जो भारत जैसे विविधतापूर्ण विशाल देश में भले ही जायज कहा जाए लेकिन बार-बार खर्च चुनाव से भारी भरकम कच्चे की बीमारियों से बचा जा सकता है .

भारत में भ्रष्टाचार की जड़ भी मांगनी होती चुनाव व्यवस्था का एक कारण है क्योंकि जब करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव प्रत्याशी जनप्रतिनिधि बनेगा तो विजई होने के बाद अपने सारे खर्चों की भरपाई करना उसका पहला लक्ष्य होगा .मगर इसकी बात करने के बाद राजनीतिक दलों पर सन्नाटा छा जाता है ,लेकिन पक्ष विपक्ष को अपने राजनीतिक हितों की बजाय देश के हितों पर मुद्दों पर काम करना चाहिए .

पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव के लिए एक साथ चुनावी तथा सुरक्षा बलों की उपलब्धता की एक प्रश्न को भी सामने रखकर इस पर सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए .दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भारत हमेशा से राजनीतिक विचारधाराओं में संस्कृतियों और विशाल आबादी का मिश्रण रहा है .हर गुजरते चुनाव चक्र के साथ राष्ट्र लोकतांत्रिक उत्साह का महाकुंभ देखा जा सकता है. जहां लाखों लोग अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करते हैं और अपने जनपद से प्रतिनिधि को चुनते हैं ,वही जीवंत लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बीच विभिन्न स्तरों पर स्थानीय ,राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव के संबंध में को लेकर बहस में हाल के वर्षों में जोड़ भी पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने दशक ने शासन में पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए अपने संबोधन को एक देश एक चुनाव की जोरदार वकालत की थीऔर भारत ने किया भी, कहना संगत होगा कि नरेंद्र मोदी एकमात्र से देता है जो राष्ट्र के उधर में परिवार और परंपराओं को तिलांजलि देकर देश हित में आगे बढ़ रहे हैं इसलिए उन्होंने राजनीतिक दलों के लाल किले से और राष्ट्रीय तिरंगे को साक्षी मानकर जो शपथ लिया था राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित करने का आग्रह किया था हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा जारी चुनाव घोषणा पत्र एक एक चुनाव में प्रमुख वादों में शामिल किया गया था.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च समिति ने इस साल मार्च में पहले लोकसभा और राज्यसभाओं के लिए एक चुनाव की सिफारिश की थी ,समिति ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 100 दिनों के भीतर स्थाननिकाय चुनाव सभी राजनीतिक dlo ko सुझाव दिया था.

दल अपने निजता का हनन समझ करके मोदी पर और भारतीय जनता पार्टी पर प्रहार करने से नहीं चूक रहे. पर भारत में दलों नियति यही है की जाति और निजी स्वास्थ्य की गणित के आगे सब कुछ ठंडा हो जाता है मगर उनकी बात करते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपने निजी के चुनाव के सामने अपने गणित को साधने का प्रयास किया है .

जब भी सरकारी खर्चे से चुनाव कराने की बात होगी तो फ्रांस,जर्मनी और जैसे सफलतापूर्वक चल रही है.स्वीडन में राष्ट्रीय विधान मंडल राष्ट्रीय प्रांतीय मंडल और काउंटी काउंसिल और स्थानीय निकायों के चुनाव निश्चित तौर पर यानि हर चौथे बस में अंतर होते हैं. ब्रिटेन में ब्रिटिश संसद और उनके कार्यकाल की स्थिरता पूर्व वर्तमान के हिसाब से निश्चित रूप से सांसद अधिनियम 2021 2011 में पारित किया था उसमें प्रावधान किया था कि 5 में 1915 से उसके बाद हर गुरुवार को आयोजित किया जाएगा एक राष्ट्र एक चुनाव सफलतापूर्वक संचालित कर रही है परंतु भारत में विघ्न संतोषियों को अभी भी इसमें संकट दिख रहा है ,देश में इसे लागू करने में सरकार कुछ न कुछ समय चुनावी मोड में रहने के बजाय विकास योजना पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकती है इसके समय संसाधनों की कमी की बचत होगी एक साथ चुनाव कराने से मतदान प्रतिशत भी बढेंगा क्योंकि लोगों के एक साथ सही मत डालना आसान होगा .इन सब स्थितियों के साथ-साथ एक साथ चुनाव कराने पर क्षेत्रीय पार्टियों को होने वाले नुकसान और उनके खर्च अन्य स्थितियों को भी ध्यान रखना होगा क्योंकि एक आदर्श लोकतंत्र सभी राजनीतिक दलों के लिए जरूरी है. सभी का साथ,सभी दलों का विश्वास और सभी दलों का विकास एक देश एक चुनाव की रीढ़ है.

राजेंद्र सनातनी

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