जोवायडन दक्षिण एशिया को अपनी विखंडन कारी नीति से घायल कर दिया है.भारत के आज बगल पाकिस्तान,श्रीलंका,बांग्लादेश , म्यामार अफगानिस्तान सबकी गति आप देख रहे हैं.दक्षिण एशिया पर तीर चला और भारत को छोड़कर सब ढेर हो गए, सबसे बड़ी बात चारो ही जगह अमेरिका का कनेक्शन है। लेकिन 2024 के चुनाव मे पूरा प्रयास था कि एक कमजोर सरकार बने?
कमजोर सरकार का इतिहास है मनमोहन सिंह या यू कहे सोनिया गाँधी की सरकार। पता नहीं अब कितने लोगो को याद होगा मगर मनमोहन काल मे जब भारत मे कोई आतंकवादी घटना होती थी तो सबसे पहले अमेरिका से सलाह ली जाती थी?
वो दौर ऐसा था कि अमेरिका यदि इराक मे एक गोली भी चला देता था तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पूरा हिल जाता था। भारत की विदेश नीति इतनी ज्यादा सॉफ्ट थी कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने जब एक समर्थन माँगा तो पाकिस्तान नाराज ना हो इसलिए भारत ने मना कर दिया था।
चीन श्रीलंका, हिन्द महासागर और अरब सागर मे पैठ जमा रहा था और इस वजह से अमेरिका पर भारत की निर्भरता बढ़ रही थी। ये अमेरिका का भारत के खिलाफ स्वर्णिम समय था, उसके लिये भारत एक मित्र से ज्यादा कॉलोनी बन रहा था।
मगर 2014 मे जब मोदी युग का आरंभ हुआ तो चीजें काफी ज्यादा बदल गयी। भारत ने कॉलोनी बनने की जगह मित्रता को चुना। यदि मनमोहन का समय होता तो इस समय पेट्रोल का भाव 135 रूपये के आसपास होता क्योंकि भारत रूस से तेल नहीं खरीद पाता।
लेकिन सरकार मजबूत थी इसलिए रुसी पेट्रोल से भारत बच गया। बीजेपी को प्रो अमेरिका पार्टी भी कहा जाता है लेकिन अमेरिका के हित मे ये है कि भारत उसके अनुरूप चले। इसलिए 2024 मे पूरी लॉबी इस सरकार को गिराने मे जुटी थी।
राहुल गांधी ने ऑन रिकॉर्ड लंदन मे बोला था कि मोदी को हटाने मे मेरी मदद कीजिये। यह तय मानिये कि 2024 मे यदि बीजेपी हार जाती और राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बन जाता तो भारत का हाल वही होता तो पाकिस्तान और बांग्लादेश मे हुआ।
डोनाल्ड लू इसी मिशन पर दक्षिण एशिया मे है, लेकिन भगवान का धन्यवाद कहिये कि 2024 का वोटर 2004 के वोटर जैसा नहीं था। उस समय वालो ने वाजपेयी जी तक को वनवास दे दिया था और इस समय वालो ने मोदीजी को भी बचाये रखा।
चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, एकनाथ शिंदे और चिराग पासवान जैसे लोग मौजूदा सरकार में शामिल होकर उस बवंडर को रोके हुए है जो भारत की सीमा पर खड़ा है। प्रार्थना कीजिये की डोनाल्ड ट्रम्प सत्ता मे वापस लौटे क्योंकि इस समय अमेरिका मे एक वे ही है जो भारत को नहीं गिराना चाहते।
डोनाल्ड लू जो की इस समय अमेरिका की तरफ से दक्षिण एशिया देख रहे है उन्होंने ये बहुत बड़ा दाव खेला था। क्योंकि राहुल गांधी अमेरिका के विपरीत चीन का भी गुलाम बन सकता था, लेकिन शायद अमेरिका ने कुछ सोचकर एक पासा फेका हो।
इसलिए जो लोग चुनाव के परिणामो से दुखी थे वे शुक्र मनाये क्योंकि आपका जहाज समुद्र की लहरों से नहीं बल्कि एक सुनामी से लड़कर अपने तट पर पहुंचा है। आप दुखी हो की जहाज का इंजन थोड़ा स्लो हो गया मगर ये भूल रहे हो की कोशिश धीमी करने की नहीं इंजन को तबाह करने की थी।
बीजेपी मुस्लिम वोटर्स मे सेंध लगाने की कोशिश कर रही है वह विरोध योग्य है मगर यदि बीजेपी का विरोध किया तो वो लोग सत्ता मे बैठेंगे जिनका हिन्दू विरोध देखकर आप शायद एक बार को औरंगजेब को पसंद करने लग जाए।
इसलिए बीजेपी का विरोध कीजिये, ट्रक भरकर विरोध कीजिए लेकिन जब कही चुनाव हो तब मत कीजिए क्योंकि आपकी दो लाइन की फ़्रॉस्ट्रेशन देश के एक हिस्से को हिमाचल प्रदेश की तरह 5 साल के लिये अपंग बना देगी?
इसलिए देश को तोड़ने, आग लगाने वालो को हमे तोड़ना चाहिए।