पश्चिम बंगाल की जनता मागे राष्ट्रपति शासन,अब विलंब केही कारण मोदी!

 

परस्पर खत की राजनीति में उलझा पश्चिम बंगाल!!


भारतीय जनता पार्टी की सरकारी जहां भी हैं कहां से सुचारु रूप से चल रही है परंतु पार्टी और सरकार का विस्तार हर राजनीतिक पार्टी का अपना राजधर्म है. केंद्र में भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार के अश्वमेध का घोड़ा पश्चिम बंगाल ,तमिलनाडु, केरल, कुछ हद तक तेलंगाना के स्थानीय सरकारों ने रोकने का काम किया है .

भाजपा का लक्ष्य संपूर्ण भारतवर्ष में एक छात्र राज्य का स्थापित कर  सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ले लक्ष्य को साधना है. किंतु पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्य इसमें बाधक बने हुए हैं. पश्चिम बंगाल की वर्तमान हालातो को देखते हुए लगता है कि भारतीय जनता पार्टी तृणमूल कांग्रेस और राजनीति के कपटपूर्णआचरण से परिपूर्ण ममता बनर्जी से दोनों हाथ निपटने का मन बना ली है. भाजपा और सब काम कर रही है जैसे जो उसे करना चाहिए और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री वह सब कर रही है जो उन्हें नहीं करना चाहिए. एक न्यायिक दायरे के अंदर काम कर रहा है दूसरा न्यायिक और संवैधानिक मान्यताओं को तेलांजलि और चुनौती दे रहा है .लड़ाई सम और असम के बीच में है ,लड़ाई न्याय और न्याय के बीच में है.जनता और जनता और जनतंत्र राइटर  बिल्डिग के सामने लुहू लू हान पड़े हैं.

दुर्भाग्य इस बात का है बंगाल का आम जनमानस अब   को समझने के बावजूद भी भाजपा के विरोध में हमेशा से खड़ा रहा है ,लेकिन वर्तमान में जो घटनाएं अभी घटी हैं उसको लेकर के भाजपा के अंदर एक विशेष आशा जगी है कि शायद उसे पश्चिम बंगाल को फतह करने में मदद मिले.

 ममता की असंख्य गलतियों के बाद भी पीडीए , इंडी गठबंधन यह मांन करके चल रहा है कि ममता ने कोई गलती नहीं की है सारी गलतियां वहां भाजपा की .लालू, अखिलेश, शरद पवार ,स्टालिन आदि के लोग इस पक्ष में हैं की ममता को बचाए जाना ही भाजपा को पराजय करने का सबसे बड़ा अध्याय है. तमाम प्रयास के बावजूद भी भाजपा अपने अभियान में सफल नहीं हो पा रही है लेकिन अब उसके पक्ष में माहौल बनना शुरू हो गया है .राज्य स्तरीय अशांति का सहारा लेकर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है जिसकी सिफारिश वहां के राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पहले ही कर चुके हैं. अब यहां मुख्य सवाल  पैदा होता है कि पश्चिम बंगाल में जिस तरह की घटनाएं राजनीतिक उठा पटक चल रही है उस तरह की घटनाएं कुछ न कुछ कमोवेश हर राज्य में हो रही है.

 परंतु पश्चिम बंगाल की घटनाएं नर पिशाच के कैरेक्टर को आमंत्रित करते हैं. भूतनी की तरह तड़का बन करके पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री हर झूठा के साथ सही करके खड़ी है. पश्चिम बंगाल में दर्ज उपद्रों 

के मुकदमों को लेकर के माना जा रहा है की कहीं न कहीं पश्चिम बंगाल की सरकार पर संकट के बदले अवश्य खड़े हैं. दो-तीन दिनों से जो भी घात प्रतिघात के दाव पक्ष विपक्ष चल रहा है हिंसक छात्र आंदोलन उनका राजनीतिकरण सबका एकमात्र देश पश्चिम बंगाल से आहट मां को मरहम लगाना है अब तक का इतिहास रहा कि केंद्र ने जिस दल की सरकार होती है वह विरोधी पार्टी के राज्यों को इसी तरह गिरती आई है लेकिन नरेंद्र मोदी एनडीए और भाजपा की सरकार ने ऐसा कोई भी सरकार गिराने का काम नहीं किया जिससे इस कांग्रेस और परवर्ती सरकारों द्वारा किए गए सरकार गिराओ अभियान का मतलब निकाला जा सके आज विपक्ष में कांग्रेस ने राज्य सरकारों पर अनेक बार या अनेक तरह से समय-समय पर हमला किया है आज केंद्र में विद्यमान सरकार पश्चिम बंगाल को लेकर के जो सोच रही है वह भारतीय राजनीति में कोई नया नहीं है. इस तरह की घटनाएं अशांत और अनेक बातों को लेकर के वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.

 पश्चिम बंगाल के बारे में कोई सख्त कानूनी कदम उठाने के पहले भारतीय जनता पार्टी इस पहलू पर भी विचार कर रही है केंद्र के इस कदम का अगले दो महीना में होने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव पर क्या असर पड़ने वाला है भारतीय जनता पार्टी के खेमे में इस बात का गंभीर चिंतन चल रहा है कि हम सरकार भी गिरा दे और हमें कुछ फायदा भी ना हो. इसलिए इस चिंतन के लिए मूल जिम्मेदारी गृह मंत्री अमित शाह संभाल रहे हैं. इस प्रकार कुल मिलाकर के मौजूदा समय इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत में राजनीतिक दल अपनीभावी योजनाओं के गंभीर चिंतन में व्यस्त हैं तथा मुख्यतः भाजपा पूरे देश पर एक छत्र राज्य स्थापित करने के मंसूबे में व्यस्त है. ऐसे में देश के विकास व जनहित की योजनाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सफल चल रहा है परंतु गंभीर विषय है, क्या राजनीति इतनी गंदी हो गई है की ममता किसी भी हालत में बाज नहीं आने वाली क्या ममता राष्ट्रपति शासन के लिए मजबूर कर रही हैं?   राष्ट्रपति शासन से एनडीए सरकार सदा परहेज करती रही है लेकिन अगर राष्ट्रपति शासन लगाया जाना आवश्यक है बड़े फोड़े को कोढ़ बने उसके पहले मोदी जी पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन का ऐलान करिए.

 राष्ट्र आपके साथ है ,पश्चिम बंगाल का बहुसंख्यक समाज आपके साथ है, देश के बुद्धिजीवी और न्यायिक प्रक्रिया सब आपके साथ है. आवश्यकता इस बात की है केंद्र सरकार  निश्चय और ईमानदारी के साथ पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन अभिलंब लगाए.


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