राहुल के पास रायबरेली के मोची से मिलने का समय ही ,वायनाड के पीड़ित से नहीं,क्या होगया राहुल?वायनाड ने तो आपकी लाज बचाई थी,अब वहां जाने में एक किसी?

 


 वायनाड में भूस्खलन होने के तीन दिन बाद, राहुल गांधी वहाँ पहुँचे। पर जब उनसे ये पूछा गया कि 300 लोगों की मौत की जिम्मेदारी किसकी है तो उन्होंने कहा, 'इस समय यहाँ लोगों को मदद की जरूरत है। अभी समय यह सुनिश्चित करने का है कि सभी को उचित सहायता मिले। मेरी इस वक़्त राजनीति करने में कोई रुचि नहीं है। मेरी रुचि वायनाड के लोगों में है। इसलिए मेरा सारा ध्यान अभी यह सुनिश्चित करने पर है कि उनकी उचित देखभाल हो और अच्छी से अच्छी चिकित्सा मिले।

तो अचानक, राहुल गांधी की "राजनीति करने में कोई रुचि नहीं है"। करें भी कैसे? आख़िर, पिछले पाँच सालों से वही तो सांसद हैं वहाँ के। और राज्य में सरकार भी उन्हीं की है, यानि कि उनके INDI गठबंधन की। दरअसल, आजादी के बाद से ही केरल को लगातार INDI गठबंधन की सरकारें ही चला रही हैं।

इसलिए, जब जिम्मेदारी उनकी स्वयं की हो, उनकी अपनी सरकार की हो, या फिर किसी सहयोगी की हो, तो राहुल गाँधी इस बारे में बिल्कुल बात नहीं करेंगे। जैसे कि तब भी नहीं की थी जब तमिलनाडु के कल्लकुरिचि में जहरीली शराब पीने से 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी क्योंकि तमिलनाडु में सरकार उनकी खुद के INDI alliance की है। लेकिन जब जिम्मेदारी मोदी सरकार या भाजपा-शासित किसी राज्य सरकार की बनती है, तब उनकी "राजनीति करने में रुचि" अचानक से जागृत हो जाती है। जब पिछले एक महीने में दो या तीन रेल दुर्घटनाएं हुईं, तो उन्होंने बिना एक पल गंवाए केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया। उन्होंने यह जानने का प्रयास तक नहीं किया कि दुर्घटना का वास्तविक कारण क्या था। क्या यह रेलवे मशीनरी की विफलता थी या ट्रेन संचालन प्रक्रिया की विफलता थी? या फिर यह एक तोड़फोड़ की आपराधिक घटना थी। उस समय उन्हें यह याद नहीं रहा कि सरकार का, और उनका, तात्कालिक ध्यान घायल यात्रियों की सहायता सुनिश्चित करने और मरने वालों के परिवारों को सहायता प्रदान करने पर होना चाहिए।

अभी जम्मू-कश्मीर में भी राहुल गाँधी ने ठीक यही किया। जब हमारे वीर सैनिक पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए (और वे अभी भी उनसे हर क्षण लड़ रहे हैं), तो राहुल गांधी ने तुरंत केंद्र सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया कि यह केंद्र सरकार की गलत नीतियों की वजह से हो रहा है। मतलब पाकिस्तान क्या कर रहा है उसकी कोई चर्चा नहीं, पाकिस्तान को भारत के विपक्ष के तरफ से एकजुटता का कोई संदेश नहीं। गाली केन्द्र सरकार को। वो भी चार दिन बाद नहीं। उसी समय। बिना एक पल गँवाये। ऐसा करते समय राहुल गाँधी यह भूल गए कि भारत की संसद में विपक्ष के नेता द्वारा दिये गए ऐसे बयानों से हमारे दुश्मनों का हौसला बढ़ेगा। आपको याद दिला दें कि पहले भी पाकिस्तान की सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के ऊपर हमला करते हुए राहुल गाँधी के बयानों को उद्धृत किया है।

लेकिन अब राहुल गाँधी जवाबदेही पर चर्चा नहीं करना चाहते। क्यों? क्योंकि जवाबदेही उनकी बनती है।

तो क्या हम इतनी आसानी से उन्हें भागने देंगे? नहीं। आइए, हम उन्हें आईना दिखाएं। हम उन्हें बताएं कि आज वायनाड में 300 से अधिक लोगों की मौत के जिम्मेदार वे खुद हैं क्योंकि पिछले पाँच वर्षों से वे खुद वायनाड के सांसद हैं। और साथ ही जिम्मेदार है केरल की वर्तमान राज्य सरकार और पूर्व की सरकारें जिन्हें पता था कि वायनाड और आस पास का क्षेत्र एक fracture zone है और यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाया गया, तो यहाँ कभी भी आपदा, त्रासदी बन कर आ सकती है।

मिस्टर राहुल गांधी! ऐसा नहीं है कि वायनाड में भूस्खलन पहली बार हुआ है। मई 2019 में आपके सांसद चुने जाने के मात्र तीन महीने बाद 8 अगस्त 2019 को वायनाड के कवलप्पारा में भूस्खलन हुआ था, जिसमें 46 लोगों की जान चली गई। फिर उसके ठीक एक साल बाद, 6 अगस्त 2020 को, पेटीमुडी, इडुक्की में भी भूस्खलन हुआ जिसमें 66 लोगों की जान चली गई। भूस्खलन का तात्कालिक कारण तब भी भारी बारिश ही थी, पर भूवैज्ञानिकों (geologists) का मानना ​​था कि केवल भारी बारिश की वजह से यह आपदा नहीं आई है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अतीत में निश्चित तौर पर tectonically active रहा होगा अर्थात यहाँ 3.5 की तीव्रता से नीचे के भूकंप कई बार आये होंगे जो कि मनुष्य द्वारा महसूस नहीं किये जाते पर seismograph पर दर्ज होते हैं। इन्हीं कम तीव्रता वाले भूकंपों की वजह से यहाँ धरती की ऊपरी परत की मिट्टी, जो कि डेढ़ से दो मीटर की है और उसके नीचे चट्टानें हैं, ढीली हो गई होगी। भूस्खलन के लिए यह एक trigger का इंतज़ार कर रही थीं। भूवैज्ञानिकों ने सरकार से कहा था कि वह इस क्षेत्र को निष्क्रिय क्षेत्र (dormant area) के रूप में सीमांकित कर दें और वहां से मानव बस्ती को हटा दें अन्यथा भविष्य में एक बड़ा हादसा हो सकता है। दशकों बीत गए, भूविज्ञान की दृष्टि से इस क्षेत्र के गूढ़ अध्ययन और कार्रवाई के लिए पर्याप्त समय था। पर कुछ नहीं हुआ। क्योंकि न तो आप जो कि यहाँ के सांसद थे और न ही सात दशकों से चली आ रही राज्य की INDI गठबंधन की सरकारों को कुछ करने में कोई रुचि थी। और आज आप प्रकृति को दोष दे रहे हैं कि यह एक प्राकृतिक आपदा है। प्रकृति को दोष देना बंद करें, राहुल गाँधी। इस भयावह आपदा और उसके फलस्वरूप 300 लोगों की मौत की ज़िम्मेदारी, प्रकृति से ज्यादा मनुष्य की है। और वह मानवीय ज़िम्मेदारी, राहुल गाँधी, आपकी और आपके INDI Alliance की सरकार की है।

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