हे शंकर जी! क्या कभी भ्रष्टाचार का अंत भी होगा?

 

क्या कभी भ्रष्टाचार का अंत भी होगा?

सर्वे गुणा : कांचनमाश्रयंती. धन के अधीन जगत है और धन  का प्रभाव जगत से उपर है. भ्रश्चाचार को कौटिल्य ने भी सर्व व्यापी बताया है.

जब तक सृष्टि रहेगी तबतब भ्रस्टाचार रहेगा। भ्रस्टाचार का कभी अंत नहीं होगा। चाहे जिसको जितना कमेंट करना हो करे। मजाक उड़ाना हो मजाक उड़ा ले। क्यों कि ऐसा नहीं है की सिर्फ एक नेता के घर 100 करोड़ नगद मिल गया तो भ्रस्टाचार समाप्त हो गया। इस चक्रव्यूह के अंदर हम सभी आते है। यानि की हम , आप , आम जनता , संसदीय और विधायिका के लोग , न्यायपालिका तंत्र आदि। हम सभी को अपने आत्म से यह प्रण करना होगा की हम कभी भी किसी भी परिस्थिति में भरष्टास्टाचार का साथ नहीं देंगे। अन्यथा सरकारी नौकरियों, संसदीय प्रणाली और न्यायपालिका में भी लोग गीता , कुरान , बाइबिल पर हाथ रखकर कसम खाते हैं और भ्रस्टाचार के द्वारा बोरा - का - बोरा नोट भर भर कर अपने घर लेकर जाते हैं I 

कसम खाकर भी उन्हें उपरवाले से डर नहीं लगता है। यदि डराने के लिए जेल भी भेज दिए, तो होटल से खाना आएगा और जेल में ही मसाज का भी आनंद मिलेगा। "संसार का सबसे विशाल संविधान भारत का" बनाया गया है क्यों ? ताकि अंदर और बाहर का बराबर मजा मिले। हमारे जैसे करोडो लोगो के विचार में दुनिया का सबसे घटिया संविधान भारत का है। सतेंद्र जैन जेल में रहकर भी 5 स्टार का मजा ले रहा है I और न्यायपालिका, कपिल सिब्बल जैसे लोगों की रखैल है। (यह भी एक कानून बनाना चाहिए की जो भी जज या वकील किसी भी पार्टी का सदस्य होगा या उसका सम्बन्ध देखा गया तो लाइफ टाइम के लिया सर्टिफिकेट कैंसिल कर दिया जायेगा और जुरमाना भी लगेगा वह अलग से )। सुप्रीम वही करेगा जो कपिल सिब्बल चाहेगा। मिलार्ड अपने आपको राजा हरिश्चंद्र दिखाने का दिखावा नहीं करें , सबकुछ साफ - साफ लोगों को दिख रहा है। भारत में दुनिया का नंबर वन मिसाइल , राकेट , इंजन , मेडिसिन बन सकता है तो कानून क्यों नहीं बन सकता। 

आप एक लाख का घोटाला कीजिये या एक अरब का , आपको सजा 7 साल का ही होगा। और वह भी अंडा , मुर्गी , पनीर खिला कर। आप अपने जीवन में कभी सुना है की किसी जज या नेता को फांसी हुयी है ? यदि अमेरिका की तरह मिसाइल चाहिए तो कानून क्यों नहीं ? कानून बनाने पर तो कोई जी. एस. टी. 18 या 28 % का टैक्स तो नहीं लग रहा है। वहां के कानून को पढ़िए और बना दीजिये। कानून बनाइये की 5 करोड़ तक का भ्रस्टाचार करने पर 40 साल की सजा, उससे जयादा पर फांसी और उसके पूरे परिवार की सम्पति जब्त होगी। " एक महीने में ही सबका केस का निपटारा होगा"। जेल में सिर्फ एक टाइम का खाना मिलेगा और 12 घंटे की उससे मजदूरी करवाई जाये। 

आपने कहीं पढ़ा है की "न्याय आँख पर पट्टी बांधकर" की जाती है ? हमारे सारे देवी - देवता , ऋषि - मुनि , राजा या मंत्री सबने आँखे खोलकर न्याय किया है " न की आँखे बंद कर के " अंग्रेजों की यह प्रथा समाप्त कीजिये और आँखे खोलकर फटा - फट फाइलों का निपटारा कीजिये।" न्यायपालिका में आज के युग में भी गर्मी का छूटी होता है " किस बात का भाई ?? आज डिजिटल युग है - घर बैठ कर भी वीडियो कालिंग के जरिये भी केस देख सकते हो।

 सत्तर साल से सबसे अधिक यदि कहीं काम पेंडिंग है तो वह है "भारत का न्याय के मंदिर में '। भारत दुनिया का ऐसा उदाहरण है जहाँ 5 लाख से अधिक लोग जेल में बैठकर तीनो टाइम भरपेट अंडा , मुर्गी , मछली , चाय , पानी आराम से खा पी रहें हैं। जिनपर अरबों रुपये खर्च हो रहें हैं। आपको ऐसा नहीं लगता की भ्रस्टाचार कर के जेल में जायेंगे और आराम से तीनो टाइम खाएंगे। ऐसी आज मानसिकता हो गयी है। जेल में तो अब मोबाइल भी मिल जा रहा है। ऐसी कोई बात ही नहीं है की यह जेल है। यह "भारत का कानून है की जेल में है तब भी उसे मंत्री पद से नहीं हटाया जा सकता" ,केजरीवाल का उदाहरण सर्व विदित ही. इसीलिए मैंने सबसे घटिया संविधान बताया है I यहाँ हाई कोर्ट के पास यह पावर होना चाहिए की ३ दिन के अंदर यदि सरकार नहीं हटाती है तो "कोर्ट उसे बर्खास्त कर दे ताकि वह एक सामान्य आदमी रह जाये"। मिलार्ड को कोई टेंशन ही नहीं है, वह अपना कलर्कियल जॉब कर रहें हैं। एक गरीब आदमी पर केस हो तो वह जलालत भरा जिंदगी में मर जाता है। और भ्रस्ट आदमी के लिए कपिल सब्बल जैसे दो मुहे न्यायालय की पिछवाड़े में नोटों का बोरा भरकर दे आते है और मिडिया में " बेल का पत्र " लहराते हुवे दिखाते हैं की सुप्रीम कोर्ट का यही असली औकात है। दुबई और अबुधाबी में मुनष्य नहीं रहता है क्या ?? वहां उतना भ्रस्टाचार क्यों नहीं है।

 मिलार्ड सबसे बड़े पढ़ाकू और ज्ञाता हैं तो वह वहां जाकर समझ बुझ कर आ नही  सकते हैं क्या ? इस देश में सब मिल बांटकर खाना चाहते हैं। उनकी जमीर मर चुकी है और चाहते भी नहीं हैं की भ्रस्टाचार समाप्त हो। एक कहावत है की अगर पुलिस ईमानदार हो जाये तो मंदिर के दरवाजे से एक चप्पल की भी चोरी नहीं हो सकती, यहाँ तो मूर्ति ही गायब हो जाती है।

 इसलिए,भ्स्टाचार थोड़ा कम हो सकता है , लेकिन समाप्त कभी नहीं होगा I जब तक ईश्वरीय या प्राकृतिक प्रकोप न आये। ईमानदारी पूर्वक रहने वाले वयक्ति यह लेख पढ़कर अपने आपको डिप्रेस्ड न समझे। आप डेली न्यूज़ समाचार में जो देखते हैं वही मैंने इसमें लिखा है। समय के साथ नियम - कानून भी बदलना चाहिए। अन्यथा मनुस्य और पशु में जयादा अंतर नहीं दिखेगा।

भ्रष्टाचार भारत के माथे पर कलंक कथा के रूप मे सर्वत्र व्याप्त है.

राजेंद्र नाथ तिवारी
संपादक एवम अध्यक्ष पूर्वांचल विद्वत परिषद,उत्तर प्रदेश

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