साधारण से असाधारण बनी राजकुमारी देवी ,जिन्हे राष्ट्रपति ने दिया पदमश्री

 वशिष्ठ नगर


ये साईकिल से आ रही कोई साधारण महिला नहीं है बल्कि इस वर्ष पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से सम्मानित बिहार की श्रीमती राजकुमारी देवी हैं।

आइये संक्षेप में इनके विषय में जानने की कोशिश करते हैं। इस महान महिला का जीवन बहुत ही प्रेरणादायी है।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया ब्लॉक के ग्राम आनंदपुर की निवासी हैं राजकुमारी देवी,मात्र 15 साल की उम्र में उनका विवाह इस ग्राम में एक किसान के साथ हुआ था जिसको खेती के नाम पर सिर्फ तम्बाकू उगाना आता था।घर का खर्च ठीक से न चलने के कारण परिवार खिन्न रहने लगा,शादी के नौ साल बाद भी राजकुमारी की गोद सूनी थी इस कारण उनको बहुत अत्याचार झेलने पड़े इनको घर से तक निकाल दिया गया। किसी प्रकार दुख झेलते हुए इन्होंने खुद खेती शुरू की और जो भी उपज हुई उससे अचार और मुरब्बे बनाये,मगर कोई इन उत्पाद को बेचने के लिए तैयार नहीं हुआ , तो खुद साइकिल चलानी सीखी और इनको बेचने लगीं।

राजकुमारी को लगा कि और अच्छे ढंग से यदि ये काम किया जाय तो बेहतर मूल्य मिल सकता है। इसके लिए वे पूसा कृषि विश्वविद्यालय पहुंची और खेती तथा फूड प्रोसेसिंग का वाकायदा प्रशिक्षण लिया, फिर खेती में जल्दी फसल देने वाली चीजें उगाईं खासकर पपीता आदि। उनको अचार मुरब्बे आदि से अच्छी इनकम हुई और काम बढा तो उन्होंने अनेक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर अपने साथ मिला लिया। फिर उनको सफलता मिलती गयी,सबसे पहले लालू यादव जी ने सरैया मेले में उनको वर्ष 2003 में सम्मानित किया फिर नीतीश जी खुद उनके घर गए और उनके कार्यो का जायजा लेकर वर्ष 2007 में 'किसानश्री' से सम्मानित किया ।ये पुरस्कार पहली बार किसी महिला को मिला था।लोग उनको 'किसान चाची' कहने लगे।

अमिताभ बच्चन के एक शो में भी राजकुमारी आमंत्रित हुईं । शो के बाद उनको एक आटा चक्की 5 लाख रुपये और साड़ियां उपहार स्वरूप मिलीं।

राजकुमारी देवी जी आज स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं कभी अकेली खेतों में काम करने वाली महिला आज हज़ारों को उनके पैरों पर खड़ा कर रही है,सरकार ऐसे लोगों को ऋण अनुदान देने के लिए पूरी तरह तत्पर है ।बस ईमानदारी और इच्छाशक्ति की जरूरत है.

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