सनातन पर ही बार बार हमला क्यों?

 

जो शाश्वत है वही सत्य है और जो सत्य ही वही सनातन है.आखिर क्या कारण है सनातन पर ही हमला भारत में क्यों होरा है?सनातन धर्म पर बार-बार हमला..आपके अभिमत से आखिर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. का सियासी एजेंडा क्या है?

विपक्षी पार्टियों ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिये एक गठवन्धन तो बना लिया उसका नाम I.N.D.I.A. गठबंधन भी रख लिया लेकिन समस्या इनकी यह है कि इनकी इडियोलॉजी तो मिलती नही है । हर विपक्षी पार्टी के अपने राज्य के हित भी है।

केंद्र में मोदी जी से लड़ने के लिये ये एक तो हो गए लेकिन इनको अपने अपने राज्यों की भी चिंता है।

DMK पार्टी मूल रूप से हिंदी और ब्राह्मणवाद के विरोध स्वरूप उतपन्न हुई है। तमिलनाडु में 80 प्रतिशत जनसंख्या पिछड़े वर्ग से है। इसलिये उनको ब्राह्मणवाद का विरोध सूट करता है। वहां सनातन को भी ब्राह्मणवाद माना जाता है। जबकि उत्तर भारत मे सनातन शब्द बृहत्तर परिपेक्ष में तथा इसमें जैन, सिख और बोध भी शामिल है इसलिये उत्तर भारत मे कोई सनातन धर्म का विरोध नही करता।

उत्तर भारत मे सनातन धर्म का मतलब गौ, धर्म यानी कर्तव्य, करुणा से माना जाता है।

DMK को लगता है कि कहीं गठबन्धन से उनकी स्थानीय राजनीति नही खिसक जाए इसलिये ये बीच बीच मे सनातन विरोधी पुछल्ला छोड़ देते है।


समस्या इससे भले ही गांधी परिवार या कुछ इनके कर्नाटक, महाराष्ट्र के द्रविड़ियन लोगों को न हो लेकिन अन्य पार्टी के नेता मन ही मन सनातन पर कीचड़ उछालने से खुश नही है। वह बीच बीच मे सफाई में देते रहते है।


अभी I.N.D.I.A. गठबंधन की समस्या यह है कि वह DMK का सीधे विरोध करते है तो उनका गठवन्धन कमजोर पड़ता है और सनातन विरिधियों की आलोचना नही करते तो उनके राज्य में गलत असर पड़ता है। इसलिये अभी इन्होंने चुप्पी साध रखी है।


लेकिन उत्तरी भारत के नेताओं की चुप्पी उन दलों पर भारी पड़ सकती है क्योंकि बीजेपी फिर आम जनता में इनको सनातन विरोधी कह कर राजनीतिक फायेदा ले सकती है। इसमें साधु संत भी आ सकते है।


सारे दल अपना नफा नुकसान देख कर बोल रहे है। अगर सनातन धर्म की किसी दल को चिंता होती तो सुप्रीम कोर्ट में उन नेताओं के खिलाफ याचिका लगा देते। लेकिन सभी अपनी तुच्छ राजनीति में सनातन धर्म को विकृत करने में लगे है।

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