आखिर कुलदीप तिवारी का क्या अपराध,योगी जी!

 लखनऊ


प्राप्त सूचना के अनुसार सीएमएस विशाल स्कूल, वास्तव में बहाई पंथ को मानने वाली एक संस्था है। 1974 में इसके संस्थापक जगदीश अग्रवाल (बाद में गांधी नाम रख लिया) ने परिवार सहित बहाई पंथ अपनाया था और स्कूल चलाने के लिए कहीं से बड़ा चंदा (फंड) उठाया था... जिसके माध्यम से स्कूल को इतना आगे बढ़ाया गया है... सूत्रों के अनुसार जगदीश गांधी 1960 के दशक से ही बहाई पंथ से जुड़ चुके थे... परन्तु सार्वजनिक रूप से बहुत वर्षों के बाद इसका खुलासा किया... ऐसे आरोप हैं कि CMS में टीचर्स और कर्मचारियों को लालच और दबाव देकर बहाई बनाया जाता है, अनेकों कर्मचारी असल में बहाई बन चुके हैं... परन्तु नौकरी जाने के भय से कोई विरोध नहीं करता...

इसी स्कूल में शिक्षण कार्य करके अपना जीविकोपार्जन करने वाले और इस नौकरी से होने वाली अपनी आय का बड़ा हिस्सा सनातन धर्म तथा राष्ट्र कार्यों में लगाने वाले धर्मनिष्ठ व्यक्तित्व "श्री कुलदीप तिवारी" जी को उनके द्वारा किए जा रहे हिंदुत्व कार्यों के कारण विद्यालय ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया... बहाना यह दिया गया कि वे स्कूल में तिलक लगाकर तथा शिखा रखकर अध्यापन कार्य नहीं कर सकते...

अब सुनिए इस बर्खास्तगी का असली कारण... असल में श्री कुलदीप तिवारी ने काशी ज्ञानवापी, मथुरा और भोजशाला प्रकरण के प्रमुख वादी होने के साथ साथ अवैध मस्जिद मजारों को ध्वस्त किए जाने तथा मुस्लिम बहुविवाह प्रथा के विरुद्ध कई न्यायालयों में याचिकाएं लगा रखी हैं जिन पर सुनवाई चल रही है...

ये वही कुलदीप तिवारी हैं, जिन्होंने रामायण को बहुत गलत तरीके से दिखाने वाली बेहद घटिया फिल्म आदिपुरुष के खिलाफ लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी... और जिस पर फिल्म मेकर्स और सेंसर बोर्ड को फटकार पड़ी थी...

कुलदीप तिवारी पर उनके द्वारा की गई PIL (जनहित याचिकाएं) वापस लेने के लिए CMS मालिकों द्वारा अनैतिक दबाव डाला गया... और कहा गया कि हम पर "ऊपर से दबाव" है, आप अपनी तमाम याचिकाएं वापस लीजिए... या फिर सीएमएस छोड़ दीजिए... कुलदीप तिवारी द्वारा इस दबाव को स्वीकार न करने पर अंततः सीएमएस ने तिलक-शिखा-कलावा वाली उल्टी सीधी कहानियां गढ़ कर उन्हे 30 जून 2024 से नौकरी से निष्कासित कर दिया...

कुलदीप तिवारी जी सदैव माथे पर तिलक लगाते हैं और शिखा धारण करते हैं तथा अपने सनातनी प्रतीक चिन्हों पर गर्व करते हैं... साथ ही वे दूसरों को भी इसे धारण करने के लिए प्रेरित करते हैं...

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