कोन ईमानदार,सबसे पहले मोदीजी की पृष्ठभूमि। मोदीजी एक सामान्य हिंदुस्तानी परिवेश से आये हैं जैसे कभी स्व.लाल बहादुर शास्त्री आते थे। वे एलीट वर्ग से नहीं हैं इसलिए वे जनता को समझते हैं और जनता की भावनाओं को समझते भी हैं. इतने वर्ष गुजरात के मुख्यमंत्री और पिछले दस सालों से प्रधानमंत्री होने के बावजूद आज भी उनका परिवार गरीबी में रहता है.
मुझे कोई भी राजनीतिज्ञ नजर नहीं आता जो इतने लम्बे अरसे तक सत्ता में रहा हो और फिर भी उसकी सम्पत्ति में कोई वृद्धि न हुई हो. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की बात तो दूर की है सामान्य सा ग्राम प्रधान ऐसा नहीं होगा जिसने राजनीती में कमाया नहीं होगा.
अगर हम उनके प्रतिद्वंदियों पर नजर डालें तो वे कहीं भी ईमानदारी में टक्कर नहीं दे सकते, गांधी परिवार ,क्या मायावती,क्या मुलायम परिवार,क्या लालू परिवार,क्या नायडू परिवार,क्या ममता बनर्जी का परिवार यहाँ तक कि लोग इस बात पर आश्चर्य करते हैं कि गाँधी परिवार कैसे बगैर किसी व्यवसाय के इतनी आलिशान जिंदगी जी रहा है.कांग्रेस के सारे बड़े नेता अरबपति हैं चाहे चिदंबरम परिवार हो,कपिल सिब्बल हो,कमलनाथ हो,दिग्विजय हों.
यहांतक कि आम कोंग्रेसी नेता बगैर किसी व्यवसाय के अरबपति बना हुआ है.भले ही इनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति के किसी मामले में जेल न हुई हो लेकिन आम आदमी तो इस बात को समझता है.
मुझे कुछ कोंग्रेसी समर्थकों से बात करने का अवसर मिला और जब मैंने उनसे मोदीजी की ईमानदारी का जिक्र किया तो जो उन्होंने कहा वह मेरे लिए दुखदायी था और उससे कांग्रेस की राजनीती की मानसिकता पता चलती थी,उनका मानना था मोदीजी के बाल बच्चे नहीं है इसलिए वे भ्रष्ट नहीं हैं,यानि कोंग्रेसियों की यह मानसिकता है कि बाल-बच्चेदार का भ्रष्टाचार में लिप्त होना जायज है.
पता नहीं कांग्रेस को इस बात का अहसास हो या नहीं लेकिन मोदीजी को "चोर" कहना उलटे उनके गले पड़ सकता है.चौकीदार चोर,किसी भी गैर राजनैतिक व्यक्ति से पूछें तो इस नारे से बहुत नाराज दिखता है और कहता है कुछ भी हो सकता है पर मोदी चोर नहीं हो सकता है.
वामपंथी मीडिया ने मोदी सरकार के खिलाफ बहुत ज्यादा नकारत्मकता फैलाई ,जितने भी अंग्रेजीदाँ पत्रकार थे वे लगातार दस साल तक उनके खिलाफ लिखते रहे लेकिन वे भूल गए कि सरकार की योजनाओं से करोड़ों लोग लाभान्वित हुए,जब अमित शाह गिनती करके बताते थे कि हमारी योजनाओं से इतने करोड़ लोगों को लाभ मिला तो पत्रकार मजाक उड़ाते थे.
अगर राष्ट्रीयता का मुद्दा देखें तो इस मामले पर कांग्रेस को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी. देश का आमआदमी भी राफेल के महत्व को जानता था लेकिन राहुल के राफेल को विवादग्रस्त करने पर लोग नाराज हो गए और यही समझा गया कि कांग्रेस को इस डील में दलाली नहीं मिली तो वह राष्ट्रीय सुरक्षा को किनारे रखकर डील कैंसिल करवाना चाहते थे.डोकलाम के समय भी चीनी राजनैयिकों से छुपकर मिलने को भी जनता में गलत संदेश गया.
धुर्वीकरण की बात करें तो अवश्य यह भी एक मुद्दा बना.जिस तरह से हिन्दू आतंकवाद का शब्द गढ़ा गया वह हिन्दुओं के कलेजे तक चुभ गया संविधान के खतरे, पीडीए और उसकी आक्रामकता ,प्रत्याशियों से संवाद हीनता ,परिवार वाद, जातिवादऔर इस वजह से कई जातिवादी समीकरण भी परवान चढ़े.
मूल्यों के प्रति फेल पर नकल में ओवव्वल विपक्ष की रणनीति को जीत का मोक्ष शास्त्र का काम किया.आवश्यकता इस बात की है भाजपा के लोग मनोबल ऊंचा कर प्रशासनिक और राजनीतिक सोच के साथ आगे बढ़े.विवेकानंद का वह ध्येय वाक्य उठो,जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो आगे बढ़ते रहो.