कल युग साक्षात कर्म और धर्म का मूल समन्वयक,चारो युगों का राजा

 बस्ती ,वशिष्ठ नगर


कलयुग हिंदू धर्म के अनुसार चार युगों में से अंतिम युग है. यह सत्य युग, त्रेता युग, द्वापर युग के बाद आता है. कलयुग का वर्णन पुराणों, महाभारत, अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है l


महर्षि वेद व्यास, जिन्हें कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के महान ऋषि, दार्शनिक गुरु थे. वे महाभारत के रचयिता, वेदों के विभाजक, पुराणों के प्रणेता छह वेदांगों के रचयिता माने जाते हैं. उनका जीवन कार्य हिंदू धर्म संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. कलयुग का समय कठिनाइयों चुनौतियों से भरा होता है, लेकिन धार्मिक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह समय साधना भक्ति के लिए उपयुक्त है. ईश्वर की भक्ति धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन को सुखी समृद्ध बना सकता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलयुग के अंत में सत्ययुग की स्थापना के लिए भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा, जो अधर्म का नाश करेगा धर्म की पुनः स्थापना करेगा. अगर आप अब तक ये जानते थे तो ये भी जान लें कि महर्षि वेद व्यास के अनुसार कलयुग श्रेष्ठतम युग है.


आखिर इस घोर कलयुग को उन्होंने सभी युगों में सबसे श्रेष्ठ क्यों कहा गया है, अगर आप भी यही सोच रहे हैं तो इसका कारण भी जानना जरूरी है. दरअसल, एक बार महर्षि वेद व्यास जी नदी में स्नान करते समय कहा था कि युगों में कलयुग वर्णों में शुद्ध मनुष्य में स्त्री श्रेष्ठ है. उस समय वहां मौजूद कुछ ऋषियों ने जब यह बात सुनी तब उन्होंने महर्षि वेद व्यास जी से कलयुग को श्रेष्ठ बताने का कारण पूछा.


वेद व्यास जी ने बताया कि जो फल मनुष्यों को सत्य युग में कठोर ब्रह्मचर्य, तपस्या पूजा पाठ करने के बाद प्राप्त होता है इसमें कई वर्ष बीत जाते है, वही फल मनुष्यों को त्रेता युग में एक साल में प्राप्त होता है. इसके बाद द्वापर युग में वही फल केवल एक ही महीने में प्राप्त होता है, लेकिन कलयुग ही एक ऐसा युग है जिसमें कई साल के परिश्रम से मिले फल को सिर्फ कुछ ही दिनों में प्राप्त किया जा सकता है. अगर कलयुग में मनुष्य थोड़ा सा ही भजन, कीर्तन पूजा पाठ कर लें तो उसे साक्षात मोक्ष की प्राप्ति होती है.


महर्षि वेद व्यास जी ने कलयुग को सभी युगों में श्रेष्ठ बताया है. उनके अनुसार, सत्य युग में कठोर तपस्या ब्रह्मचर्य से जो फल मिलता है, वही त्रेता युग में 1 साल में द्वापर युग में 1 महीने में मिलता है. लेकिन कलयुग में थोड़े से भजन पूजा पाठ से ही मनुष्य को मोक्ष प्राप्त हो सकता है. महर्षि वेद व्यास जी के अनुसार, कलयुग में साक्षात मोक्ष की प्राप्ति संभव है.

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