मोदी आज भी वैश्विक हिन्दुत्व के बृहस्पति, समस्या शुक्राचार्यों से है, कांग्रेस का पूरा समय नफ़रत फैलाने में जाता है

 कांग्रेस  इच्छाधारी  पार्टी, राहुल  कहीं  ईसाई, कहीं  मुसलमान  और  उत्तर  प्रदेश  में  हिंदू  का  चेहरा   हैं 


मोदी इस समय पूरे विश्व में हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे हैं विश्वभर में इससे कोई इनकार नही कर सकता है। यही ईर्ष्या शुक्राचार्यो की है मोदी से। दूसरी तरफ मोदी जी सबसे बड़े काल हैं कांग्रेसियों के। यही नफरत कांग्रेस को है मोदी से कि ये कैसी गलती हम से हो गयी कि इसे ठिकाने न लगा सके। इसलिए शुक्राचार्य और कांग्रेस दोनों एक दूसरे के कंधे पर बैठकर काम कर रहे हैं। शुक्राचार्य चाहते हैं कि हिन्दुओ की ठेकेदारी उनकी बनी रहे। कांग्रेस चाहती है कि मोदी से हिन्दू वोट छीनकर उसे सत्ता से हटाया जा सके। इसमें दोनों एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।

न शुक्राचार्यो को सनातन से लेना देना है और न कांग्रेस को। इन दोनों की बहानेबाजी हमको साफ दिख रही है, इसलिए इनको जवाब दिया जा रहा है। ये धर्म के ज्ञान की बात न ही करें तो बेहतर होगा क्योंकि हम अपने धर्म शास्त्र को मुद्दा बना उन शत्रुओं को हमलावर नही होने देना चाहते जो हर दिन आपके धर्म को अपमानित करते हैं अलग अलग बातों को उठाकर।

इसमें न मोदी की गलती है और न हमारी कि आप हिंदुत्व का चेहरा बनकर नही उभर पाए। मोदी ने किसी के हाथ नही बांधे थे। कल का बालक धीरेंद्र शास्त्री आपसे ज्यादा लोकप्रिय हो चुका है धर्म के मामले में तो आप उससे भी चिढ़ बैठे। आपके पास भी हमेशा से मौका था कि आप बड़े बन पाते लेकिन आपको अपने घर मे ही राजनीति करने से फुर्सत नही मिली।

नेहरू जिसे मासूम हिन्दुओ ने सोचा था कि मुगल चले गए, ईसाई चले गए, अब तो हमारा धर्म सुरक्षित होगा और खुद के आगे पंडित लगाने वाला ये हिन्दू अब हमारे धर्म का पुनरूत्थान करेगा लेकिन उन्हें क्या पता था कि ये तो खुद को दुर्भाग्य से हिन्दू कहता है और इसने सबसे पहले आकर हिन्दुओ के मंदिर ही कब्जा दिए। सिर्फ हिन्दुओ के नाकि दूसरों के धर्मस्थल क्योंकि उन्हें ये फलते फूलते रहने देना चाहता था। हिन्दू, जिनके मंदिरों की ये विशेषता थी कि वहां गुरुकुल, योगशाला, वेदशाला, आयुर्वेदशाला, सामूहिक विवाह, भोजन, धर्मशाला, हर तरह की व्यवस्था होती थी उन्हें हिन्दुओ से छीन लिया गया ताकि गरीब हिन्दू को कहीं शरण लेने को न मिल सके और वो मजबूरन अपना धर्म चंद सिक्को के लिए छोड़, पराए मजहब में चला जाये और इस तरह हिन्दुओ के शत्रु इस देश मे बढ़ते चले जाएं।

यही 2014 से पहले तक चलता रहा जब हिन्दू होना ही शर्म से भरा होने लगा था और सेक्युलर होना गर्व बना दिया गया था। नरेंद्र (विवेकानंद) के "गर्व से कहो हम हिन्दू हैं" को हकीकत दूसरे नरेंद्र ने बनाया है 2014 में आने के बाद, जिसकी चिढ़ ही मठाधीशों को सबसे ज्यादा है कि ये कहाँ से हिन्दुओ का ठेकेदार आ गया है। आज हिन्दू दुनिया से भिड़ जाता है अपने धर्म के लिए जो कल तक अपने ही लोगों में जात पात, ऊंच नीच में उलझा हुआ था। किसी ने मोदी को उसकी जाति क्या है, देखकर अपना नायक नही चुना जिसकी चिढ़ भी बहुत से लोगों को होती है क्योंकि जिस संघ से वो निकला है वहां एक मंदिर, एक कुँवा, एक श्मशान का कॉन्सेप्ट है। यही संघ से चिढ़ की वजह भी है कि वो तो चार कदम आगे बढ़ सबका डीएनए हिन्दू है कैसे कह लेता है। विहिप भी इसलिए खटकती है कि कैसे वो दुनिया मे जाकर हिंदुत्व का नेतृत्व कर रही है जैसा 22 जनवरी को न्यूयॉर्क से लेकर पेरिस में लाइव राम मंदिर का प्रसारण वहां के आइकोनिक जगहों पर विहिप करवाएगा।

कहने को बहुत कुछ है पर जिन्हें अपनी बात पर ही अड़ा रहना है उन्हें हम समझाने की सिरदर्दी नही लेते। बस हमे मजबूर न करो कि हम जलील करने के स्तर पर आएं। हम नही चाहते कि किसी को जलील करने के चक्कर मे हम अपने धर्म का अपमान गलती से भी कर दें क्योंकि भले ही ये खोटे सिक्के हों लेकिन हमारी गद्दियों पर विराजमान हैं। रही बात आक्षेप लगाने की तो मोदी तो पैरों की धूल भी नही है उन श्रीराम की जिनपर भी हमारे ही हिन्दू त्रेता से लेकर वर्तमान तक आक्षेप लगाया करते हैं। जब श्रीराम को नही छोड़ा तो मोदी को ऐसे धूर्त क्या छोड़ेंगे। लेकिन प्रभु श्रीराम सब देख रहे हैं। वही सबका हिसाब करेंगे

पुनश्च  हरिओम  

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