बस्ती का वन विभाग कलक्टर को भी नहीं डरता, फिर कैसे बचेगा हमारा पर्यावरण

 बस्ती(वशिष्ठनगर)



पर्यावरण को लेकर के देश, प्रदेश और विश्व की संस्थाएं इतनी चिंतित हैं कि उनको मानवता खतरे में दिखाई दे रही है .पर्यावरण का दोहन हमने इतना जबरदस्त कर लिया है अगले वर्ष भारत के तापमान को मौसम वैज्ञानिकों ने 50 से 60 डिग्री सेल्सियस की संभावना जताई है ,जो बेहद गंभीर है.

छाया.हरिओम यादव



भारत सरकार का पर्यावरण एवं वन मंत्रालय अरबों रुपए पर्यावरण के रखरखाव के लिए खर्च करता है .जुलाई से अगस्त तक प्रतिवर्ष एक जनपद में करोड़ पेड़ों रोपे जाते हैं, जिसमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और लेना भी चाहिए .

आने वाली पीढ़ी के साथ हम कितना न्याय कर रहे हैं ,इसका उदाहरण वन विभाग द्वारा जिलाधिकारी के आवास के सामने पौधारोपण के कर्मकांड से पता चलता है. जिस वन विभाग को कलेक्टर का तक का डर नहीं है वह वन विभाग पूरे जनपद में कौन सा ऐसा काम करेगा जिससे यहां का पर्यावरण संरक्षित हो सके .

प्रभारी निदेशक सामाजिक वानिकी की पहल पर जिलाधिकारी को विश्वास में लेकर करोड़ के आस पास वृक्षारोपण होता है और करोड़ों का पैसा खारिज होता है. पर प्रथम दृष्टि या देखने से ही लगता है जो करोड़ों पेड़ लगाते हैं अगले साल वह जिंदा नहीं रहते. अगर जिंदा रहते हैं तो अंतिम सांस गिनते रहते हैं .किसको चिंता है पर्यावरण की अगर हमने और अपने पर्यावरण की चिंता करना बंद कर दिया तो आने वाली संतति हमें और आपको क्षमा नहीं करेगी.

उसका उदाहरण बस्ती जनपद में जिलाधिकारी के आवास के सामने वन विभाग द्वारा आरोपित पौधे हैं.जरूरत है सरकारी,गैर सरकारी स्तर पर जागरूकता और पर्यावरण के प्रति निरंतर आग्रह करने वाले जनों की .पेड़ो को लगाकर उनकी चिंता न करने वालों को अपने कृत्य पर पुनर्विचार कर उनके रख रखाव की चिंता को राष्ट्रधर्म घोषित किया जाए.

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