अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सम्मानित होंगे योगाचार्य प्रवेश कुमार

 


यद्यपि योग का इतिहास शताब्दियों पुराना है पर बस्ती जनपद में योग को प्रतिष्ठा दिलाने वालों में पिछले दो तीन दशकों से जो परिश्रमी कर्मयोगी,योग के क्षेत्र  में समाज में योगक्षेम वहाम्यहम केसाथ   काम कर रहे हैं उनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के  प्रमुख कार्यकर्ता और संघ से इतर  कुछ ऐसे मनीषी जो निरंतर योग के क्षेत्र में जनपद स्तर पर् महती भूमिका में काम कर रहे हैंउनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ,आर्य समाज ,गायत्री शक्तिपीठ , पतंजली योगपीठ,भारत स्वाभिमान   सहित अनेक संस्थाएं हैं जो योग को जीवन का प्राण तत्व मानकर काम करती है.
 उनका अपना धर्म है ,शरीर माध्यम खुल धर्म साधनम . आज देश के तीसरी पारी के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने योग को वैश्विक मान्यता दिलाने में माननीय भूमिका का निर्वहन किया है. महर्षि पतंजलि द्वारा प्रत्याभूत योग को स्वामी रामदेव ने जिस तरह से पतंजलि योगपीठ स्थापित कर समाज में पहुंचने का प्रयास किया वह प्रयास सराहनी है कहा जाए विदेश में श्री मोदी और देश में श्री रामदेव ने योग को सम्मानजनक ढंग से योगके सम्मान को प्रतिपादित किया है . अनेक महापुरुष हुए हैं जिनके बारे में कमतर आंकना उनके साथ भी अन्याय होगा .परंतु पतंजलि योगपीठ और भारत स्वाभिमान मंच ने इस कदम में  हिमालय  से हिंद महासागर तक बहुत ही अच्छा प्रशंसनीय कार्य क्या है, जिसकी परिणति यह हुई कि नरेंद्र मोदी केपहल पर पूरे विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की मान्यता प्रदान की ,जो कई वर्षों से देश और बाहर विशेष कर अमेरिका और सऊदी अरब ,जापान जैसे देशों में भी योग स्थान प्राप्त कर चुका है .

भारत में जितने भी महापुरुष या महायोगी हुए हैं उनमें से सब ने योग को महत्व देते हुए ही अपने कार्य को आरंभ किया है. बस्तीजनपद ब्रह्मर्षि वशिष्ठ के कर्मस्थली और अयोध्या नरेश  राजा दशरथ के पुत्रों के शैक्षिक स्थल रही है .बताते हैं बस्ती से सात आठ किलोमीटर की दूरी पर बढ़नी गांव में बढ़नी गांव में महर्षि वशिष्ठ का आश्रम था, जहां कुलपति के रूप में देश के विभिन्न स्थानों से विद्यार्थी तो वहां जाकर के पढ़ते थे . उनमें श्रीराम चारो भाई,निषाद राज जेसे तत्कालीन  प्रभावशाली लोग शास्त्र, शस्त्र,और योग के साथ समाज शास्त्र4,इतिहास पुराण, वेद आदि का अध्ययन करते थे.

लगभग डेढ़ दशक पूर्व बस्ती में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी श्री सुभाष शुक्ला ने पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष श्री प्रवेश कुमार से मेरी भी भेंट कराई थी, तब योग और पतंजलि योग और महर्षि रामदेव के नाम से बात करने में भी लोगों को रुचि नहीं हुआ करती थी , सिकटा अपने गांव में  स्वामी रामदेव का कार्यक्रम और किसान महाविद्यालय में अति प्रात :  योग शिविर का कार्य कार्यक्रम अति सराहनीय और सबके  मन को स्पर्श करने वाला रहा.

सामान्य सा युवा अपेक्षा ,उपहा, सहता हुआ बस्ती और हरिया में योग की साधना को इस तरह के धारा के रूप में बहाया उसे धारा में आज बड़े-बड़े स्थानीय सम्मानित लोग भी समाहित होकर के योग के प्रति अपनी राष्ट्र सेवा दे रहे हैं .

जिसमें आर्य समाज के ओम प्रकाश आर्य , गरुण ध्वज पांडे, पंकज त्रिपाठी, डा वीरेंद्र त्रिपाठी ,संघ के  सुभाष शुक्ला और श्री मुन्ना सिंह का नाम बस्ती के योग के इतिहास में आज जीवंत  स्थान बना चुका है. डॉक्टर नवीन सिंह के नाम की चर्चा ना करना भी बेमानी होगी, परंतु आरंभ में जब रामदेव के साथ कोई नहीं था तब अपने दो चार युवा साथियों के साथ महिला महाविद्यालय में सैन्य विज्ञान के अस्थाई प्राध्यापक, वर्तमान में राजकीय शिक्षक प्रवेश कुमार के योग के काम  कमतर आंकना  उनके सहज,सरल स्वभाव के साथ अन्याय ही होगा.होगा जिस तरह से एक सामान्य से भी नीचे परिवार से निकलकर योग सेवा में समर्पित  परिकल्पना को साकार करने के लिए योग कर्मसु कौशलम् की भावना से अनुप्राणित प्रवेश कुमार ने सरकारी गैर सरकारी स्थानो पर योग को सम्मान दिलाया एवं उनके लिए भगीरथ प्रयास से काम भी किया वह  अति सरानीय है.

 अगर प्रवेश कुमार को बस्ती जनपद में योग का भागीरथ कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी. निष्काम कर्म योग के साथ शारीरिक कर्म योग को अपनाना निरंहकारी ,साधारण सा व्यक्तित्व ,मिलनसार उपनिषदों के ध्येय वाक्य की तरह अहर्निशम सेवा महे ,की भावना से योग को समर्पित पतंजलि योगपीठ के प्रवेश कुमार का योगदान बस्ती जनपद में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर याद करना समीचीन होगा .

अगर यह कहा जाए की प्रवेश कुमार योग के प्रति समर्पित हैं तो यह भी कहना उपयुक्त होगा उनके रोम रोम में योग का भाव 24 घंटे कभी भी कोई भी देख सकता है. आज जब 2 दिन बाद अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन बस्ती सहित पूरे विश्व में विभिन्न स्थानों पर आयोजित होगा ऐसे में महर्षि वशिष्ठ की धरती पर महर्षि पतंजलि के योग्य शिष्य प्रवेश कुमार को पूर्वांचल विद्वत परिषद उत्तर प्रदेशसम्मानित करते हुए गर्व का अनुभव करेगी.

कौटिल्य का भारत समाचार पत्र उनके योग के प्रति योग्यतम समान के लिए शुभकामना देता है.

शुभम भुयात 


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