यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में रामचरितमानस के साथ ही पंचतंत्र और
सह्रदयालोक-लोकन को शामिल किया गया है. बता दें कि सहृदयालोक-लोकन, पंचतंत्र और रामचरितमानस क्रमशः आचार्य आनंदवर्धन पंडित, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखे गए. 7-8 मई को मंगोलियाई राजधानी उलानबटार में मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक की 10वीं आम बैठक में आयोजित की गई है. इसी दौरान ये फैसला लिया गया. इस तरह से भारत की ये कालजयी रचनाएं अब विश्व धरोहर बन गई है. इसका 38 देशों ने समर्थन किया है. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए बताया है कि “रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में शामिल किया गया है. यह समावेशन भारत के लिए गौरव का क्षण है, देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत की पुष्टि है. यह वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण प्रयासों में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है, जो हमारी साझा मानवता को आकार देने वाली विविध कथाओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों को पहचानने और सुरक्षित रखने के महत्व पर प्रकाश डालता है. इन साहित्यिक उत्कृष्ट कृतियों का सम्मान करके समाज न केवल उनके रचनाकारों की रचनात्मक प्रतिभा को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनका गहन ज्ञान और कालातीत शिक्षाएं भावी पीढ़ियों को प्रेरित और प्रबुद्ध करती रहें.
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