#नारदजयंतीपरविशेष
नारद न बनना आसान और न ही उनके चरित्र को जीना ही आसान है।आज उनकी प्रासंगिकता इसलिए ज्यादे है कि नारद का चरित्र निष्पक्ष ,निर्वेर,निर्भीक था।जो अब कोई संत, महंत, संन्यासी ,गृहस्थ कोई भी कुछ भी हों सकता है पर नारद नहीं हो सकता।उनका चिंतन चिरंतन और सकारात्मक था। ईश्वरीय सत्ता को जो चुनौती दे सकता है ,वही नारद।
जो सबकी खबर ले और सबको खबर दे वही नारद।सत्ता भीरू पत्रकार,राज्यश्रयी पत्रकार,मूल्य हीन पत्रकार,आतंक परस्त पत्रकार,लालची पत्रकार, कामी पत्रकार और देशघाती पत्रकार हो सकता है पर श्री नारद नहीं हो सकता।
को किसी से न डरे वह नारद
जो किसी भी प्रलोभन में न आए वह नारद
जो सदा देश,समाज,और सकारात्मकता सदा परोसे वह नारद
सनातन शास्त्रों में ब्रह्मा जी के पुत्रों में से श्री नारद जी को भी माना गया है । नारद जी को कठिन तप साधना के बाद देवर्षि की उपाधि और ख्याति प्राप्त हुई। वे भगवान के मन में उठने वाले विचारों को समझ जाया करते हैं इसलिए नारद को भगवान का मन भी कहा गया है ।
यह भूत ,वर्तमान और भविष्य तीनों कालों के ज्ञाता हैं देवर्षी नारद धर्म के प्रचार तथा लोक कल्याण हित सदैव प्रयत्नशील रहते हैं ।इसी कारण सभी युगों में, सभी लोगों में, समस्त विधाओं में ,समाज के सभी वर्गों में नारद जी का सदैव महत्वपूर्ण स्थान है ।
भक्ति के प्रधान आचार्य भी माने गए हैं ।नवधा भक्ति के प्रणेता भी नारद ही हैं उनके द्वारा रचित सूत्रों में भक्ति तत्वों को बड़ी व्याख्या की गई है। उन्होंने प्रत्येक युग में घूम-घूम कर ईश्वर के प्रति भक्ति भाव का अलख जगाया है ।महाभारत के अनुसार देवर्षी नारद सभी वेदों के व्यासख्यता , इतिहास विद ,पुराण विद ,मर्मज्ञ ,भूत ,भविष्य और वर्तमान की जानकारी रखने वाले प्रखर वक्ता, नीति के ज्ञानी कभी संगीत कभी शंकाओं को समाधान करने वाले तेजस्वी व्यक्तित्व के साथ ही साथ आदि पत्रकार भी हैं श्री नारद।
वे ज्ञान के स्वरूप, विद्या के भंडार, सदाचार के आधार ,आनंद के सागर, हर प्राणी के हितकारी हैं ।वह ईश्वर के कृपा पात्र भी हैं और उनकी समस्त लोगों में ख्याति अवाध है ।
जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब भगवान के "दूत नारद जी ही भूमिका तैयार करते हैं और भगवान की लीलाओं के सहचर की तरह भूमिका निभाते हैं। देवर्षि नारद को सृष्टि का पहला पत्रकार भी माना जाता है। पुराणों के अनुसार उन्हें वरदान मिला हुआ था कि वह तीनों लोगों में कहीं भी भ्रमण कर सकते हैं।
देवर्षि नारद का कथन और वचन सत्संग और ईश्वरी योजनाओं के अनुसार कार्य करना भी मनुष्य जीवन की सार्थकता है ।वर्तमान समय में हम सभी लोगों को इस बात को ध्यान देना चाहिए नारद का विकृत अर्थ लगाने बझाने वाला नहीं बल्कि जिसके वाक्य ही ब्रह्म वाक्य है वही नारद है ।जो किसी प्रकार से रद्द न किया जा सकता है वह नारद है। और चाहे वह मत्स्य अवतार हो, कूर्म अवतार हो , वाराह अवतार हो, कच्छप अवतार हो ,वामन अवतार हो राम अवतार हो ,कृष्ण अवतार हो ,या कल्कि ही हो सब की पृष्ठ भूमि और भूमिका पहले से ही तैयार करने का काम ईश्वर ने नारद को ही दिया है। नारद एक श्रेष्ठ पत्रकार ,अपनी भूमिका को निभा करके बड़े से बड़े लोगों से अपनी बात का हलवा लेता है ।इस तरह से ईश्वरीय कार्य में नारद को भी दक्षता प्राप्त है।
सृष्टि के प्रथम सूचना मंत्री नारद ही हैं। समष्ठि को श्री नारद जयंती की अशेष शुभ कामनाएं।