ईश्वर या अल्लाह कभी कभी अजीब निर्णय सुना देता है,यह क्रूर इब्राहिम रहीसी ईरान का राष्ट्रपति बनने के पहले ईरान के सुप्रीम कोर्ट का जज था.पर किसी की भी असामयिक निधन दुखद है.भारत सरकार ने भी ईरानी से सम्मान में एक दिवसीय शोक भी घोषित किया है.
इसे जल्लाद ऑफ जस्टिस कहते थे
यह ईरान के उस समय की सरकार का इतना बड़ा चापलूस था की जो भी कोई सरकार के खिलाफ लिखता था उसे यह सीधे सजा मौत देता था
जज रहते हुए इसने 40000 लोगों को मौत की सजा सुनाई.
ईरान में फांसी देने के लिए जल्लाद कम पड़ गए तो इसने क्रेन से उठा उठा कर लोगों को मारने का हुक्म दिया और इस तरह लोगों को करने में कई महीने लग गए थे
इसने जिनको जिनको फांसी दिया जिसमें 14 साल की एक लड़की भी थी जिसने बलात्कार का आरोप लगाया था लेकिन बलात्कार का सबूत नहीं दे पाई.
ईरान में शरिया कानून चलता है और शरिया कानून में बलात्कार पीड़ित महिला या लड़की की मेडिकल नहीं करवाई जाती बल्कि उसे दो गवाह लाने पड़ते हैं और उनमें से भी एक गवाह पुरुष होना चाहिए.
इस तरह इस जल्लाद ने कई बलात्कार पीड़ित महिलाओं को भी फांसी पर लटका दिया.
और इसकी ऐसी दहशत थी कि ईरान में पुरुष खुलेआम महिलाओं और लड़कियों का बलात्कार करने लगे थे क्योंकि उन्हें पता था की जब तक जज है तब तक उन्हें सजा नहीं हो सकती.
1988 में ईरान सरकार फटाफट लोगों को मौत की सजा देने के लिए एक डेथ कमेटी बनाई थी
इब्राहिम रईसी "Judges of Death Committee" के मुख्य जज थे.
आज इब्राहिम रईसी वही चला गया जहां इसने ईरान के लोगों को भेजा यानी जहन्नुम में,
लेकिन मैं फिर भी कहता हूं इसराइल से पंगा लेने वाला ताकतवर से ताकतवर व्यक्ति भी अपने आप को कहीं सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता.
म्यूनिख ओलंपिक में इजरायल के एथलीट की हत्या होने के बाद गोल्डा मायर ने उन एथलीट के परिवार को फोन करके कहा था आप लोग निश्चिंत रहिए जितने भी गुनहगार हैं वह इस धरती पर क्या अगर वह पाताल और दूसरे ग्रह पर भी गए होंगे तो हम उन्हें वहां मारेंगे
और मोसद ने उन्हें अमेरिका लेबनान सऊदी अरब नॉर्वे स्वीडन में जाकर मारा और एक-एक करके सारे गुनहगारों को जहन्नुम भेज दिया.