लखनऊ
अतीक अहमद के कुत्ते के साथ कोन?
अखिलेश जी केशव मौर्य को अपराधी कहने से पहले यह देख लें। चित्र 1989 का है जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को अतीक अहमद ने अपने घर बुलाकर अपने पालतू कुत्ते से उनका हाथ मिलवाया था। अगले दिन यह चित्र सभी प्रमुख समाचार पत्रों में छपा था उसके बाद अतीक अहमद ने खुलकर कोहराम मचाया और प्रदेश के किसी पुलिस अधिकारी की हिम्मत नही हुई कि अतीक पर हाथ डाल सके। सपा और बसपा से लगातार इस अतीक अहमद को विधायक सांसद बनाया जाता रहा। किसी नेता या पार्टी प्रमुख के गुंडा जीवी कहाने के क्या आधार होना चाहिये?
भाई की मृत्यु के ग्यारहवें दिन का भंडारा कोन मस्ती से खा रहा,अखिलेश या केशव मौर्य?
2016 में मुख्तार अंसारी की पार्टी का सपा में विलय के बाद आपने अंसारी परिवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।आप मुख्तार अंसारी के घर जाकर अंसारी की कब्र पर नहीं गये। मजबूरी में कुछ भी बको जिसे कभी दरवाजे पर आने के बाद बाहर कर दिये थे आज उसके दरवाजे पर घुटना टेक कर उसे प्रत्याशी बनाये हो। उत्तर प्रदेश को माफ़ियामुक्त बनाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अतीक अहमद के मुद्दे पर विधानसभा में आप छेड़ने की कोशिश किये लेकिन जब वह गरजे तब आप दुबक गये। विधानसभा में आप केशव मौर्य के पिता जी तक पहुंच गये थे।लेकिन जब योगी जी आपके पिता जी की बात किये तो आप ये कह कर चुप्पी साध लिये कि यह हमारे संस्कार में नहीं है।बार-बार केशव मौर्य को आप खाली इस लिये निशाना बनाते हो कि वे पिछड़ा समाज से आते हैं। आप किसी और पिछड़े की उन्नति नहीं देख सकते।पिछड़ा समाज देख रहा है।कांग्रेस से गठबंधन न होता तो जमानत भी नहीं बचती, फिलहाल 2024 में खाता नहीं खुलेगा।