न्याय मूर्तियों की सड़क छाप टिप्पडी,स्वामी रामदेव का अपराध इतना ही, कि वे राष्ट्र भक्त भगवा संत हैं, हमदर्द ओर हिमालया जेसी अनेक संस्थाएं है उनके प्रोडक्ट की तुलना पतंजलि से भी करिए न्याय मूर्ति जी?

मनोज श्रीवास्तव 


स्वामीरामदेव और उनका पतंजलि योगपीठ , वामपंथी  विचार वालों के आंख का किर किरी बना है, विदेशी एजेंटों को स्वदेशी उत्पाद और देश का  स्वाव लंबन  पसंद नही आरहा,आखिर अपने आकाओं को क्या जवाब देंगे. पर न्यायिक समीक्षा किए बिना सड़क छाप गुंडई माननीयों को शोभा नहीं देती.मां मुख्य न्याधिधिप्ति  जी आप की भूमिका तो स्रहनीय है ,पर किसी बात पर तथास्थता  यही इंगित करती है,व्यक्ति असत्य के साथ है.

उदाहरण देखिए प्रधान न्यायमूर्ति जी!

बताते हैं इसके पीक्षे  अंतर्राष्ट्रीय  साजिश  ही है.रामदेव जी जैसा भगवा सन्यासी राष्ट्रधर्म से प्रेरित होकर राष्ट्र के स्वास्थ्य के साथ ही कृण्वन्तो विश्वमार्यम का संदेश   देता है,इस संत का व्यापार  देख कर विश्वस्तरीय दवा निर्माता कंपनियों को रामदेव का चूर्ण नहीं भा रहा, उन्हीं  कम्पनियो का काम ही आयुर्वेद का शाश्वत विरोध.

न्याय पालिका,कार्य पालिका तक को जो प्रभावित करता है वही है वैश्विक स्तर पर गलत सही दवा निर्माताओ का संगठित गिरोह.जिसने न्याय पालिका तक को प्रभावित करने का कुत्सित प्रयास किया है.स्वामी राम देव आधुनिक सुश्रुत व चरक है,भला ईसाई मिशनरियों,पाशात्य जगत केसे स्वीकार सकता है कि भारत दवा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बने.अभी तो रामदेव है आगे जितनी आयुर्वेदिक संस्थाएं है राष्ट्र विरोधी ताकतें कहीं कहीं उन्हें भी हुलसाने का कुप्रयास करेंगी.

जज साहब आपका ध्यान हलाला लिखने वालों पर क्यों नहीं जाता.इसलिए आएमए  का खरबों का कारोबार ध्वस्त होजाएगा इसीलिए न?

यह भी सबको समझना व सोचना चाहिए जो न्यायालय लब जेहादियों,आतंक वादियों,देश द्रोहियों के लिया आधी रात खुलता है क्या  लाखो की फीस लेने वाले वकील धर्मार्थ काम करते है?क्या हमारे जेसे लोगो के ईमेल का भी जनाब  न्याधिपति देंगे?नहीं क्योंकि सामान्य जन के पास दरबारी बकीलो को इंगेज करने की क्षमता ही नहीं हैं.

बाबा रामदेव के खिलाफ देश नही है वे प्रवृत्तियां है जिन्हे कफन,मुर्दे व मरणासन्न जनो  की किडनी तक निकली लेने में कोई संकोच नहीं.

इसे भी जरा समझिए,जज साहब!



मुस्लिमों की एक संस्था है वक्फ लैबोरेट्रीज।जो हमदर्द के नाम सकई प्रोडक्ट बनाती है, उसने अपने कुछ दवाओं के बारे में इतने बढ़ा चढ़ा के दावे किए हैं लेकिन आज तक किसी भी व्यक्ति ने उन दावों पर सवाल नहीं उठाया है।
उसकी एक टानिक है, जिसे वह सिंकारा के नाम से बेचती है।
वह कहती है कि आप इसे पीते ही एकदम जोश और स्फूर्ति से भर जाएंगे।
वृंदा करात जो पतंजलि की हर दवाओं को तमाम लेबोरेटरीज में भेज कर उसका रिपोर्ट लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है, उन्होंने कभी भी सिंकारा पीकर, प्रेस कॉन्फ्रेंस करके, यह नहीं कहा कि, यही दवा पीकर मैं हाथ उठा उठा कर भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह इंशाल्लाह के नारे लगाती हूं।
 क्योंकि यह दवा यह टॉनिक मेरे अंदर जोश भर देती है ऐसा सिंकारा के बारे मे कभी नही कहा।

एक शरबत है रूह अफजा।
वक्फ लेब्रोटरी दावा करता है कि, इसमें ताजे गुलाब डाले गए है लेकिन क्या आज तक किसी ने लैब में परीक्षण करके यह पता लगाया कि इसमें सच में ताजे गुलाब डाले गए हैं या विदेशों से गुलाब का केमिकल एसेंस डाला गया है..? 

एक सिरप है साफी
दावा करता है कि ये खून को पूरी तरह से साफ कर देता है मैंने आज तक मीडिया या सोशल मीडिया में कभी नहीं देखा, किसी ने उस पर सवाल उठाया हो।

आखिर इस साफी में ऐसी कौनसी चीज है जो ये खून को फिल्टर कर देती है ? 
और अपने बड़े-बड़े दावों के समर्थन में, वक्फ लैबोरेटरी, यानी मुसलमानों की यह संस्था, कौन सी जांच रिपोर्ट का हवाला दे रही है ?


ऐसे ही एक और दवा है, रोगन बादाम।

इसके बारे में कम्पनी दावा करती है कि यह बादाम का अर्क, यानी जूस है।
और 100 ग्राम की सीसी यह 750 रूपये में बेचती है।

मेरा फिर वही सवाल है की, क्या किसी ने सवाल उठाया कि इसमे असली बादाम है या बादाम के एसेंस हैं..?
मैंने अपने एक मित्र से पूछा, तब उन्होंने बताया कि अगर आपको 100 ml बादाम का कंसंट्रेटेड एसेंस निकालना होगा, तो उसके लिए कम से कम आपको 5 किलो बादाम चाहिए।
अब आप 5 किलो बादाम की कीमत करीब ढाई से 3000 रूपये होगी और यह कंपनी आपको मात्र 700 रूपये मे 100 ml बादाम का एसेंस कैसे दे रही है..?
इसी तरह आप हमदर्द के सारे प्रोडक्ट देख लीजिए सिर्फ बड़े-बड़े दावे किए गए हैं कहीं कोई सच्चाई नहीं है।
आज तक किसी भी नेता ने, हमदर्द के दवाओं के बड़े-बड़े दावों पर कभी कोई सवाल नहीं उठाया है।
लेकिन अगर पतंजलि कोई उत्पाद लांच करती है तो पूरा सोशल मीडिया, सारे नेता, सारे सेक्युलर, चीफ फार्मासिस्ट बनकर, ऐसे ज्ञान देते हैं जैसे उनसे बड़ा ज्ञानी इस धरती पर कोई नहीं है।
दरअसल 
बाबा रामदेव का सबसे बड़ा अपराध यह है कि उन्होंने भगवा वस्त्र धारण किया है।
सोचिए रामदेव बाबा खुद एक ऐसे समुदाय से आते हैं जो ब्राम्हण नहीं है फिर भी यह दिलीप मंडल से लेकर बृंदा करात, सीताराम येचुरी, असदुद्दीन ओवैसी सब के सब उन पर इसलिए टूट पड़ते हैं क्योंकि उन्होंने भगवा धारण किया है।

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