भाजपा का ‘अब की बार 400 पार’ का नारा कोई नया विचार नहीं है, यह 73 साल पहले की एक राजनीतिक प्रतिज्ञा हैअब की बार 400 पार' की उत्पत्ति जवाहरलाल नेहरू और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बीच हुई तीखी बहस से हो सकती है, जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू को चेतावनी दी थी कि वह उनकी 'कुचलने वाली मानसिकता' को कुचल देंगे.
पांच साल पहले, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी ने खुद को 300 से अधिक सीटें देने का वादा किया था. उसे 303 मिले. इस साल, मोदी की पार्टी ज़ोर-शोर से ‘अब की बार 400 पार’ के नारे के साथ 400 से अधिक सीटें जीतने की योजना बना रही है. यह उस पार्टी के आत्म-विश्वास को बयां करती है, जो अपने लिए असंभव लक्ष्य निर्धारित करती है, और, रिकॉर्ड के अनुसार, अक्सर उन्हें ‘अब की बार 400 पार’ हो या उसके पहले का ‘कांग्रेस-मुक्त भारत’ का नारा हो, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा शायद उस पुरानी चुनौती को पूरा कर रही है जो भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू को दी थी: “मैं इस कुचलने वाली मानसिकता को कुचल दूंगा”.पुराने घाव, नए मरहम इतिहास की किताबों के पन्नों को ध्यान से पढ़ने से अक्सर आज की राजनीतिक घटनाओं को प्रासंगिक बनाने में मदद मिलती है.
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का उदाहरण लें. हिंदू दक्षिणपंथियों के अनुसार, मुखर्जी ने संघ के एक भारत के दृष्टिकोण के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया क्योंकि उन्होंने जम्मू और कश्मीर के लिए ‘दो निशान, दो विधान, दो प्रधान’ (दो झंडे, दो संविधान और दो प्रमुख) के विचार को खारिज कर दिया था.1952 में, मुखर्जी, जो उस समय भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और एक निर्वाचित सांसद थे, ने जम्मू में एक सभा में घोषणा की: “मैं आपको भारतीय संविधान दिलाऊंगा नहीं तो इसके लिए अपनी जान दे दूंगा.” उन्होंने मई 1953 में बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर की यात्रा की. शेख अब्दुल्ला सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और 23 जून 1953 को हिरासत के कुछ दिनों बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
तब की जनसंघ और अब की भाजपा उस बलिदान को कभी नहीं भूले.नेहरू ने मुखर्जी की ओर इशारा करते हुए कहा: “जनसंघ एक सांप्रदायिक पार्टी है. मैं जनसंघ को कुचल दूंगा.” इस पर मुखर्जी ने जवाब दिया, “मेरे मित्र पंडित जवाहरलाल नेहरू कहते हैं कि वह जनसंघ को कुचल देंगे, मैं कहता हूं कि मैं इस कुचलने वाली मानसिकता को कुचल दूंगा.”
भारत में 5,000 साल पहले की सभ्यतागत निरंतरता है.पिछले 10 वर्षों में मोदी द्वारा लिए गए कई बड़े फैसले, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से लेकर नागरिकता संशोधन अधिनियम तक, तीन तलाक के उन्मूलन से लेकर अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा तक, एक ऐसे भारत के विचार को पूरा करते हैं जो ‘भारत’ से कभी भी अपने आपको अलग करके नहीं देखता है.इसलिए, ‘अब की बार 400 पार’, नेहरू के ‘इंडिया’ के विचार को ‘भारत’ के विचार से बदलने के लिए 73 साल पहले का एक युद्धघोष हो सकता है, और मुखर्जी का बदला भी.
राजेंद्र नाथ तिवारी
अध्यक्ष पूर्वांचल विद्वत परिषद,