जहां भी आपने मजहबी भाई चारे की बात की वहा हिन्दू ही चारा और बेचारा दोनो बनेगा. ज्वलंत बदायू की घटना,राजस्थान दर्जी महाराष्ट्र साधुओं पर अत्याचार भाई चारे ही ही उदाहरण हैं.
आज भाई चारा बनाने में गांधीवाद निर्थक हो चला है,आवे हमे गांधी नहीं तिलक बाद की जरूरत है,जितना ही हिंदू सहीष्णु बनेगा उतना ही पड़ोस से प्रतादित भी होगा,बदायू कांड जलवंत उदाहरण है सेकुलर गैंग ने कांड की निंदा तक नहीं की.इसलिए लोकमान्य तिलक का आह्वान करिए और
शठे शाठम समाचारेत
बदायू का परिवार भोले पन का शिकार होगया.
विनोद की पत्नी पैसे देने से पहले उसके लिए चाय बना रही थी इसी बीच भाई'जान ने अपना मजा'हबी कर्तव्य निभाते हुए तीनों बच्चों के गले पर उस्तरा चला दिया...
यह भी बताया जा रहा है कि उसने बच्चों का खून भी पिया...
इन्हें घर में आने देना, उनके साथ किसी तरह का आर्थिक व्यवहार करना अत्यंत जोखिम का काम है...
संत विराथु महाराज सही कहते हैं कि "आप कितने भी सहिष्णु हों पर पागल कुत्तों के साथ नहीं रह सकते"...
मैं तो कहतI हूं साथ रहना तो दूर ऐसे लोगों को हम अपनी गली से भी नहीं गुजरने दे सकते
इनका आपके एरिया में रहना तो छोड़ो वहाँ व्यापार करना भी आपके और आपके परिवार के लिये ख़तरा है.
आवश्यकता है राष्ट्रवाद की भावना से तादात्म्य स्थापित कर अपने और अपनी को संगत जागरूक रहने की.