अपहरण के मामले में पूर्व सांसद, बाहुबली धनंजय सिंह को सात वर्ष की कैद

  अपहरण के मामले में धनंजय सिंह को सात वर्ष की कैद

 जौनपुर। 



 विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने 4 वर्ष पूर्व नमामि गंगे परियोजना के मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण व रंगदारी मांगने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके सहयोगी सन्तोष विक्रम को दोषसिद्ध पाते हुए 7 वर्ष के करावास व डेढ़ लाख रुपये  अर्थ दंड से दंडित किया।अभियोजन कथानक के अनुसार मुजफ्फरनगर निवासी नमामि गंगे परियोजना के प्रबंधक अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में मुकदमा पंजीकृत करवाया कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह के सहयोगी संतोष विक्रम और दो अज्ञात व्यक्ति उन्हें जबरदस्ती धनंजय सिंह के आवास पर ले गए। वहां धनंजय सिंह ने उसे पिस्टल सटाकर कम गुणवत्ता की गिट्टी, बालू सप्लाई करवाने के लिए दबाव डाला व धमकी दिए। इस मामले में बाद में वादी मुकदमा अभिनव सिंघल अपने बयान से मुकर गया और पुलिस ने न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दिया। कुछ दिनों बाद पुलिस ने पुनः विवेचना करते हुए उनके विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। 3 अप्रैल 2022 को धनंजय सिंह और संतोष विक्रम के विरुद्ध अपहरण, रंगदारी, खड्यंत्र तथा जान से मारने की धमकी इत्यादि धाराओं में न्यायालय में आरोप तय किए गए।

तहरीर, पुलिस अधीक्षक से मिलकर की गई सुरक्षा की गुहार और विवेचना के दौरान अभियोग की पुष्टि करते हुए वादी द्वारा बयान भी दर्ज करवाया गया था। इस तरह के तमाम परिस्थित जन्य साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को अपहरण व धमकाने के मामले में दोषी पाया। सजा के बिंदु पर धनंजय सिंह के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि वे जन प्रतिनिधि होने के नाते कुछ शिकायतों के निस्तारण हेतु अभिनव सिंघल को अपने घर पर बुलाए थे, किंतु न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि किसी भी जनप्रतिनिधि को किसी कर्मचारी को इस तरह अपने घर पर बुलाने की कोई व्यवस्था नहीं है। अन्ततः न्यायालय ने आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को भारतीय दंड विधान की धारा 364 में 7 वर्ष के कारावास व 50 हजार रुपए अर्थदंड से, धारा 386 में 5 वर्ष के करावास व  25 हजार रुपए अर्थदंड से, धारा 504 में 1 वर्ष के करावास व 10 हजार रुपए अर्थदंड से, धारा 506 में 2 वर्ष के कारावास व 15 हजार रुपए अर्थ दंड से तथा 120 बी में 7 वर्ष के कारावास व 50 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया।

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