कातिल के जनाजे में हजारों की भीड़,संदेश साफ है ,मुसलमानों का कातिल को भरपूर समर्थन और सावधान हो संदेश समझिए.

 #कातिलों_की_भीड़



ये भीड़ किसी राष्ट्रवादी फौजी के लिए नहीं निकली है,ये भीड़ किसी वैज्ञानिक के लिए नहीं निकली है,ये, भीड़ किसी डॉक्टर के लिए नहीं निकली है,ये भीड़ निकली है,  दो बच्चों के हत्यारे के जनाज़े में शामिल होने के लिए...

वो बच्चे जिनका ये दोष था कि वो रामलीला में लव कुश बने थे,वो बच्चे जिनका दोष ये था कि उन्होंने श्री राम मंदिर का अक्षत वितरण किया था,इस दोष के लिए

दोनों बच्चों के कोमल शरीर पर 23 बार छुरा मारा गया।


ये कोई अकस्मात "फिट ऑफ रेज" में हुई घटना नहीं थी,ये कई महीनों से हो रही ब्रेन वाशिंग का परिणाम था,जो मदरसे/मस्जिद में रोज़ उसकी की जा रही थी।


उसने पूरी प्लानिंग से नया चाकू खरीदा,बच्चों के घर गया,मां से गर्भवती पत्नी की डिलिवरी के लिए पैसों की मदद मांगी,चाय मंगवाई,छत पर गया,बच्चों से पानी मंगवाया और फिर वही किया जिसकी ट्रेनिंग वर्षों से उसे दी जा रही थी,जिसकी ट्रेनिंग हर मुस्लिम बच्चे को दी जाती है,किसी भी जीव का गला चाकू से धीरे धीरे रेतते  हुए,अल्लाह हू अकबर रटते जाना,चिलाते जाना,


अल्लाह हू अकबर,अल्लाह हू अकबर,अल्लाह हू अकबर..

और बच्चों की चीख शांत..


और फिर वो रमज़ान में भूखा प्यासा बेचारा साजिद

दोनों बच्चों के ख़ून से अपनी प्यास बुझाने लगा..

क्योंकि उसे लगा काफिरों का खून पीना माहे रमज़ान में सबाब का काम है,उसे ये करने से कोई पौरुष ताकत मिल जाएगी,जन्नत की हूरें उससे खुश हो जाएंगी,वगैरह वगैरह..


साजिद और जावेद बस एक जरिया हैं इस भीड़ की मानसिकता का,इस भीड़ की गैर मुस्लिमों के लिए घृणा का।वो हथियार बनते हैं जो इस भीड़ के मंसूबों को अंतिम रूप प्रदान करते हैं।


ये भीड़ 30 लोगों की नहीं,30,000 मुसलमानों की है,

ये भीड़ इसलिए इतनी संख्या में इस जनाजे में शामिल होती है,ताकि वो गैर मुस्लिमों,काफिरों और नेताओं,पार्टियों को बता सकें,जो भी हो हम अपने भाई के साथ हैं,उसने जो किया इस्लाम के लिए किया,इस्लाम के बताए मार्ग पर चलकर किया,उसी मार्ग पर हम चलेंगे,तुम कुछ भी कह लो,कुछ भी कर लो,

हम इसके साथ हैं।


वो जो कहते हैं कि इसका धार्मिक एंगल मत लाओ

ये क्रिमिनल एक्ट है,वो बताएं किस क्रिमिनल के शव यात्रा में इतनी भीड़ आती है?क्रिमिनल के रिश्तेदार मूंह छिपा छिपा कर जाते हैं,अधिकतर जाने से बचते हैं,ताकि भविष्य में शांति से रह सकें,और इधर संदेश स्पष्ट है..


"हमें फक्र है,हमारे साजिद पर,उसने माहे रमज़ान में काफ़िर की औलादों पर बार बार वार कर,उनका ख़ून पिया तो सही किया,अल्लाह उसे जन्नत बक्शेंगे,वो नेक काम करते करते शहीद हुआ,हम उसकी शहादत को ज़ाया नहीं जाने देंगे,तुम कितने साजिद मारोगे,हर घर से साजिद निकलेगा।"


अब भी उनकी विचारधारा आप न समझे

तो शायद कोई साजिद,

शायद कोई जावेदों कोस समझ पाएगा..!



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