अंधविश्वास और विश्वास के बीच में भक्ति और शक्ति का संतुलन बिगड़ रहा है ।लोग मरे जा रहे हैं और धर्म की दुकान चल रही है ।इन दुकानदारों पर रोक लगाने के लिए सरकार के पास कोई उपाय नहीं है ।आज से 10 वर्ष पूर्व जो महात्मा ब्रह्मलीन हो गए उनके वापसी को लेकर के उनके उनकी शिष्या भी डिप फ्रीजर में प्रवेश करती है और वह भी ब्रह्मलीन हो जाती है ।विशेषज्ञों के अनुसार वह भी मेडिकल डेथ हो चुकी है ऐसी स्थिति भावात्मक तनाव व लगाव माने रखता है।
10 साल पहले ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज ने समाधि ली थी, तब से लेकर अब तक उनका शरीर डीप फ्रीजर में रखा हुआ है. वहीं, यूपी की राजधानी लखनऊ में पिछले महीने तब सनसनी मची थी जब आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी गुरु मां आशुतोषांबरी ने 28 जनवरी को समाधि ली थी. उन्होंने अपने शिष्यों के लिए एक वीडियो बनाकर संदेश दिया था कि वह अपने गुरु आशुतोष महाराज को वापस लाने के लिए समाधि ले रही हैं. समाधि लेने के एक महीने बाद न तो आशुतोष महाराज समाधि से लौटे और न ही उनकी शिष्या.
बताते हैं कि समाधि से ठीक पहले साध्वी आशुतोषांबरी ने अपने शिष्यों के लिए एक वीडियो बनाकर संदेश दिया था कि वह अपने गुरु ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज को उनके शरीर में वापस लाने के लिए समाधि ले रही हैं. उनके मुताबिक 10 साल पहले उनके गुरु आशुतोष महाराज ने समाधि ली थी. आशुतोषांबरी ने दावा किया था कि वह महाराज को वापस शरीर में ले आएंगी. उनकी चेतना आ जायेगी. उसके बाद मैं वापस अपने शरीर में जीवित हो जाउंगी.
आखिर जीवन और चमत्कार पर इतना अंधकार क्यों?क्या आशुतोष्मबरी सही है या कोई चमत्कार। सरकारे भी इस प्रकार स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं है।जब धर्म भी एक विज्ञान है,तो यह रास्ता वह भी पागल पन का।