*मन के प्रहलाद को बचाएं तभी हिरण्यकश्प प्रवृत्ति समाप्त होगी.!

*मन के प्रहलाद को बचाएं, तभी हिरण्यकश्प प्रवृत्ति समाप्त होगा

क्षवि:: गुगल साभार


होली का ऐतिहासिक सामाजिक और राष्ट्रीय , सामाजिक सद्भाव सामाजिक संरचना और सामाजिक सरोकारों का संदेश होली देती है .सर्वधर्म समभाव संदेश भी होली ही देती है .आज जब गला काट प्रतिस्पर्धा सारे समाज में, पड़ोस में चल रही है, ऐसी स्थिति में होली हमको संदेश देती है गला काट स्पर्धा से निजात दिलाने का नाम होली ही रही है .

उसमें होली की प्रासंगिकता निसंदेह बहुत समीचीन है. होली संदेश देती है

*न वेरेंड वेराणी शामयांति न कदाचन: हम खड़े होकर स्थिति भावना में खड़े होकर होली का इस रंग से सबको सराबोर करने का नाम ही राष्ट्रीयता है. एक दूसरे से समाहित कर सकाना राष्ट्रीयता का नव जागरण का विहान है होली.यह त्यौहार मनुष्यता का है ,यह नीति पर नीयति की विजय का है . यह त्यौहार स्वाद का प्रतीक है . मन की होलिका को जलाकर भक्त प्रहलाद दो समाज में स्थापित करने का काम होली के दिन किया जाता है.


होली उमंग, उल्लास, मस्ती, रोमांच और प्रेम-आह्वान का त्योहार है। कलुषित भावनाओं का होलिकादहन कर नेह की ज्योति जलाने और सभी को एक रंग में रंगकर बंधुत्व को बढ़ाने वाला होली का त्योहार आज देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरे जोश के साथ जोरों-शोरों से मनाया जाता है। भले विदेशों में मनाई जाने वाली होली का मौसम के हिसाब से समय और मनाने के तरीके अलग-अलग हो, पर संदेश सभी का एक ही है- प्रेम और भाईचारा।
 
 
होली शीत ऋतु की विदाई और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का सांकेतिक पर्व है। प्रकृति के पांवों में पायल की छम-छम बसंत के बाद इस समय पतझड़ के कारण साख से पत्ते टूटकर दूर हो रहे होते हैं, ऐसे में परस्पर एकता, लगाव और मैत्री को एकसाथ एक सूत्र में बांधने का संदेशवाहक होली का त्योहार वातावरण को महुए की गंध की मादकता, पलाश और आम की मंजरियों की महक से चमत्कृत कर देता है। फाल्गुन मास की निराली बासंती हवाओं में संस्कृति के परंपरागत परिधानों में आंतरिक प्रेमानुभूति सुसज्जित होकर चहुंओर मस्ती की भंग आलम बिखेरती है जिससे दु:ख-दर्द भूलकर लोग रंगों में डूब जाते हैं।

 
जब बात होली की हो, तो ब्रज की होली को भला कैसे बिसराया जा सकता है? ढोलक की थाप और झांझों की झंकार के साथ लोकगीतों की स्वर-लहरियों से वसुधा के कण-कण को प्रेममय क्रीड़ाओं के लिए आकर्षित करने वाली होली ब्रज की गलियों में बड़े ही अद्भूत ढंग से मनाई जाती है। फागुन मास में कृष्ण और राधा के मध्य होने वाली प्रेम-लीलाओं के आनंद का त्योहार होलीप्रकृति के साथ जनमानस में सकारात्मकता और नवीन ऊर्जा का संचार करने वाला है। यकीनन, होली के इस माहौल में मन बौरा जाता है।
होली मूल्यवान मानवता वभाईचारा का संदेश देती है कि  मन की होलिका को जलाइए  और भक्त प्रहलाद की प्रवृत्ति को  हृदयंगम करना ही पवित्र रंगोत्सव का सम्यक संदेश है.
*मन के प्रहलाद को बचाएं तभी हिरण्यकश्प प्रवृत्ति समाप्त होगी.!

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